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Written By भाषा
Last Modified: लखनऊ , सोमवार, 31 मार्च 2014 (16:51 IST)

उत्तरप्रदेश में दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

उत्तरप्रदेश में दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर -
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लखनऊ। 16वीं लोकसभा के चुनाव में उत्तरप्रदेश में अपने कुनबे की अगली पीढ़ी को सियासी विरासत सौंपने की हसरत लिए 6 से अधिक दिग्गजों ने इस बार खुद चुनाव मैदान में नहीं उतरकर अपने बेटों और पत्नियों को उतारा है लेकिन इससे उनकी अपनी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है।

यह तो 16 मई को चुनाव नतीजे आने के बाद ही पता चल सकेगा कि वे दिग्गज अपने लाड़लों और लाड़लियों को चुनाव जिताकर ‘माननीय’ बना पाएंगे या नहीं।

कन्नौज संसदीय क्षेत्र से सपा प्रत्याशी डिम्पल यादव चुनाव मैदान में हैं जिसके चलते उनके मुख्यमंत्री पति अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा दांव पर है, वहीं फिरोजाबाद सीट से अक्षय यादव के चुनाव लड़ने के चलते समाजवादी पार्टी के ‘थिंकटैंक’ कहे जाने वाले उनके पिता रामगोपाल यादव की साख भी दांव पर लगी है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इस बार एटा संसदीय क्षेत्र से खुद चुनाव न लड़ने का फैसला लेते हुए अपने बेटे राजवीर को भाजपा टिकट पर चुनाव मैदान में उतारा है।

कल्याण सिंह ने वर्ष 2009 में हुआ पिछला लोकसभा चुनाव सपा के सहयोग से जीता था। इस बार, बेटे राजवीर को समाजवादी पार्टी के विरोध का सामना करना पड़ेगा। यहां कल्याण सिंह की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। समाजवादी पार्टी और भाजपा अकेली पार्टियां नहीं है, जहां परिवारवाद के चलते प्रतिष्ठा दांव पर हो। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी इससे अछूती नहीं है।

बसपा सुप्रीमो मायावती के निकट सहयोगी माने जाने वाले पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पुत्र अफजल सिद्दीकी भी फतेहपुर सीट से चुनाव लड़कर राजनीति की शुरुआत करेंगे, वहीं पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय फतेहपुर सीकरी से दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं।

रामवीर उपाध्याय के सगे भाई मुकुल उपाध्याय गाजियाबाद से पहली बार चुनावी मैदान में हैं जिसके चलते बसपा के इन दोनों वरिष्ठ नेताओं की प्रतिष्ठा तो दांव पर है। उपाध्याय की पत्नी के मुकाबिल रालोद से अमर सिंह चुनाव मैदान में हैं, वहीं भाई मुकुल उपाध्याय का कांग्रेस प्रत्याशी राजबब्बर से मुकाबला होगा। ऐसे में उपाध्याय के दमखम की कड़ी परीक्षा होगी।

बसपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के विरुद्व मैनपुरी से चुनाव लड रही हैं।

कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी हाल ही में राज्यसभा से चुने गए रामपुर खास की विधानसभा सीट रिक्त हो जाने से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उनकी बेटी विधानसभा उपचुनाव लड़ रही हैं।

प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से वर्तमान सांसद रत्ना सिंह कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन रत्ना सिंह की हार-जीत प्रमोद तिवारी की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है, क्योंकि प्रतापगढ़ प्रमोद तिवारी का गृह जनपद है और वे रिकॉर्ड लगातार 9 बार विधानसभा के लिए चुने जाते रहे हैं।

संजय गांधी के निकटस्थ रहे सुल्तानपुर से कांग्रेस सांसद संजय सिंह की जगह इस बार उनकी पत्नी अमिता सिंह चुनाव मैदान में है और उनके विरुद्व संजय गांधी के बेटे वरुण गांधी भी इसी संसदीय सीट से चुनावी संग्राम में हैं जिसके चलते यह चुनाव न केवल काफी रोचक बन गया है बल्कि संजय सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है।

सुल्तानपुर संसदीय सीट पर चुनाव इस लिहाज से भी काफी रोचक होगा कि भाजपा प्रत्याशी वरुण गांधी के पिता संजय गांधी और संजय सिंह के बीच गहरी दोस्ती थी लेकिन अब हालात और राजनैतिक मजबूरियां हैं। संजय सिंह की साख और संबंध दोनों दांव पर लगे हैं।

बसपा सरकार में मंत्री रहे जयवीर सिंह का बेटा अरविन्द कुमार सिंह भी अलीगढ़ से बसपा के लोकसभा प्रत्याशी हैं। ऐसा नहीं है कि इस लोकसभा चुनाव में पिता और पति की ही प्रतिष्ठा दांव पर लगी हो।

लखनऊ संसदीय क्षेत्र से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी तो प्रतिष्ठा दांव पर लगी ही है, मगर भितरघात की आशंका के चलते राजनाथ सिंह की चुनावी कमान उनकी पत्नी और बेटे पंकज संभालेंगे। ऐसी स्थिति में लखनऊ संसदीय क्षेत्र में राजनाथ सिंह की साख बचाने के लिए बेटे और पत्नी की भी प्रतिष्ठा दांव पर है।

सपा में केवल पार्टी मुखिया और मुख्यमंत्री के परिवार के लोग ही चुनाव मैदान में नही हैं बल्कि अन्य सपा नेताओं की पत्नियां भी चुनाव मैदान में हैं।

राज्यमंत्री कमाल अख्तर की पत्नी हुमैरा खातून अमरोहा से, स्टाम्प मंत्री महेन्द्र अरिदमन सिंह की पत्नी फतेहपुर सीकरी से तो सपा नेता शहजिल इस्लाम की बेगम बरेली संसदीय क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं। (भाषा)