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Written By WD

कुंभ, मस्ताना बाबा की 80 किलो वजनी पगड़ी

- आलोक त्रिपाठी

Mastana Baba | कुंभ, मस्ताना बाबा की 80 किलो वजनी पगड़ी
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इलाहाबाद कुंभ में वैसे तो बहुत से लोग व चीजें अजीबो गरीब देखने को मिल रही है। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी मिल जाते हैं जिनको देखने के लिए लोग इंतजार ही नहीं करते हैं वरन तब तक नहीं हटते हैं जब तक वो पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो जाते हैं।

*मस्ताना को पगड़ी बांधते देख खड़े हो जाते हैं लोग।
*दो घंटा लगता है बगड़ी बांधने में।
*दिन में दो बार बाधते हैं पगड़ी।
*लगभग 80 किलो है पगड़ी का वजन।
*दो हजार मीटर कपड़े की बनी है पगड़ी

ऐसे ही हैं पंजाब से आए मस्ताना संत। मस्ताना के सिर पर जो पगड़ी है वह दो हजार मीटर कपड़े की बनी है और उसका वजन है लगभग 80 किलो जिसको बाधते देख लोग बरबस ही खडे हो जाते हैं।

पंजाब प्रांत के रोपड जिले के नन्दपुर सब गांव निवासी मस्ताना संगम तट पर स्नान करने के बाद जब अपने सिर पर पगड़ी बाधते हैं तो उनको पगड़ी बांधते देख लोग भौंचक रह जाते हैं। बकौल मस्ताना बाबा एक दिन में दो बार पगड़ी बांधता और खोलता हूं।

उन्होंने बताया कि दिन में दो बार स्नान करता हूं एक बार सुबह और एक बार शाम को। मस्ताना बाबा के अनुसार एक बार पगड़ी बाधने में दो घंटे का समय लगता है। इस काम में किसी की भी मदद नही लेता हूं। लगभग दो हजार मीटर कपड़ें की बनने वाली पगड़ी का वजन लगभग 80 किलो तक हो जाता है।

इतनी भारी भरकम पगड़ी को पहनकर मस्ताना पूरे मेला परिसर में घूमते ही नहीं है बल्कि अपने साथ लाए अस्त्र का प्रदर्शन भी करते हैं। मस्ताना बाबा के अनुसार जब मैं किशोर हुआ तभी से मैं गुरु गोविन्द सिंह की सेना में भर्ती हो गया और उन्होंने ही मुझे आदेश दिया कि जुर्म के खिलाफ लड़ना होगा और इसके लिए हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए जितनी बड़ी पगड़ी की आवश्यकता हो पहनो।

पिछले कई सालों से 2 हजार मीटर की पगड़ी पहनना और खोलना आसान काम नहीं है, लेकिन मस्ताना बाबा प्रतिदिन इसको पिछले कई साल से कर रहे हैं। पगड़ी बाधने के बाद वो उसको चारों तरफ से तोड़ा से बांधते हैं जिससे पगड़ी गिरे नहीं।

मस्ताना के अनुसार पगड़ी में कंधा, कड़ा, शास्त्र, अस्त्र के साथ ही चक्र व चकरी आदि रखते हैं और फूल-मालाओं के साथ ही रिबन आदि भी उसीके ऊपर से बांधते हैं। पगड़ी बांधे-बांधे ही मस्ताना बाबा सो भी जाते हैं और वो पगड़ी स्नान करने के दौरान ही खोलते हैं। स्नान के बाद तट पर ही बैठकर उसको बांधने का क्रम भी शुरू हो जाता है।