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एक रोटी की आस में।
चल पड़ा है अपने पथ पर,
एक रोटी की आस में।
जीवन के इन संघर्षों में लड़ता है वह,
एक रोटी की आस में।
भोर हुई फिर हुआ अंधियारा, एक रोटी की आस में।
श्रीकृष्ण से मिलने गए सुदामा,
एक रोटी की आस में।
ए राजा से ललित हुए चर्चित,
एक रोटी की आस में।
पेट की भूख तन से मिटी,
एक रोटी की आस में।
लाखों टन गेहूं बहा,
फिर भी भूख रह गई थाली में।
इस एक रोटी की कीमत न जाने कोई,
बड़े महलों के बाहर फिकी किसी की आस है खोई।
आज उठा है फिर वह मानव,
एक रोटी की आस में।