प्रभु ने कहा, 'यदि तुम मुझसे प्यार करते हो, तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे।' (योहन 14:15)
तीसरी आज्ञा कहती है- 'विश्राम दिवस का स्मरण कर उसे पवित्र रखना।' (निर्गमन 20:8) जब मूसा ने ईश्वर से आज्ञाएँ प्राप्त कीं तो उसे कहा गया था कि 'विश्रामवार' को 'पवित्र' रखें। यहूदियों ने यह निर्णय लिया कि वह सप्ताह का अंतिम दिन होगा।
जबकि प्रेरितों ने सप्ताह के प्रथम दिन का निर्णय लिया, क्योंकि बहुत सी घटनाएँ जो ईसाई धर्म के लिए महत्वपूर्ण थीं, सप्ताह के प्रथम दिन ही घटित हुईं, जैसे- पुनरुत्थान, पवित्र आत्मा का प्रेरितों पर अवतरण, ख्रीस्त द्वारा पाप क्षमा का अधिकार प्रदान करना आदि।
हमें रविवार के दिन ख्रीस्तयाग में भाग लेकर और अनावश्यक शारीरिक श्रम से विश्राम लेकर पवित्र रखना चाहिए।
येसु ख्रीस्त के दिनों में यहूदी लोग इतने सख्त थे कि विश्रामवार के दिनों में येसु ख्रीस्त द्वारा रोगियों एवं दुर्बलों को चंगा करने के विरुद्ध वे कुढ़ने लगे।
बाइबिल खोलकर पढ़ो- - सभागृह में स्त्री (लूकस 13:10-17) - गेहूँ की बालें तोड़ते शिष्य (मारकुस 2:23-28) - सूखे हाथ वाला मनुष्य (मारकुस 3:1-6) - जलकुण्ड का असक्त व्यक्ति (योहन 5:2-18) - जन्मान्ध व्यक्ति (योहन 9:1-41)
यह पढ़ने में रुचिकर है और यह दिखाता है कि हमारे प्रभु येसु सामान्य ज्ञान और जनसाधारण के समर्थक थे।
रविवार को पवित्र रखने के लिए, ख्रीस्तयाग के अतिरिक्त, कलीसिया विश्वासियों से आग्रह करती है कि वे पूजन की दूसरी विधियों जैसे पवित्र परमप्रसाद की आशीष, बाइबिल आराधना, माला-विनती, बीमारों को देखने और पल्ली के कार्यों में सक्रियता से भाग लें।