गुरु का राशि परिवर्तन
सबके लिए शुभ होगा गुरु का गोचर
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डॉ. गोविंद माहेश्वरी सूर्य के पश्चात सौरमंडल का सबसे बड़े ग्रह गुरु ने 6 दिसंबर को प्रातः 9.07 पर मीन राशि में प्रवेश किया है। यह 8 मई 2011 तक अपनी विभिन्न गतियों में पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के चतुर्थ चरण, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के चारों चरण तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरण में परिभ्रमण करेगा। इस बार गुरु का संचरण मीन राशि में होने पर यह विशेषता रहेगी कि यह बारह राशियों में से किसी भी राशि के जातक को अशुभ फल नहीं देगा।ग्रहों के फलादेश सिद्घांत के अनुसार जब भी कोई ग्रह स्वयं की राशि में संचार करता है, तब वह सब प्रकार के दोषों से मुक्त हो जाता है तथा दोष मुक्त ग्रह किसी भी राशि में हानि नहीं करता। आचार्य वैद्यनाथ ने इसी तथ्य को आज से 584 वर्ष पूर्व अपने फलादेश ग्रंथ में उद्घाटित किया था। चूँकि मीन राशि का स्वामी ग्रह स्वयं गुरु ही है। अतः गुरु का स्वग्रह होने के फलस्वरूप यह किसी भी राशि के लिए अशुभ नहीं है। गुरु के मीन राशि में गमन के दौरान शिक्षा जगत में व्यापक परिवर्तन होंगे, नए विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, शिक्षा संस्थानों की स्थापना होगी। इनमें हो रहे भ्रष्टाचार समाप्त होंगे। इनके लिए नई नीतियों का निर्धारण होगा, जो कि शिक्षा के उच्च मापदंड को पार करेंगी।
धार्मिक क्रियाकलापों में वृद्घि होगी, नए धार्मिक स्थानों का निर्माण एवं इनके भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। शिक्षा, धर्म एवं विज्ञान से जुड़े व्यक्तियों को विशेष उन्नति के अवसर एवं उच्च सम्मान प्राप्त होंगे। विद्यार्थी वर्ग अध्ययन में श्रेष्ठ सफलता प्राप्त करेंगे। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत नए शोधों के साथ विश्व पटल पर उभरेगा। देश की आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी। पिछले वर्ष की तुलना में शीत प्रकोप अधिक रहेगा। जिन वर एवं कन्या के विवाह में अत्याधिक विलंब हो रहा है, उनके अवरोध दूर होकर शीघ्र विवाह होगा। बारह राशियों पर इनके शुभ प्रभाव इस प्रकार होंगे - अतिशुभ फल : मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन। मध्यम शुभ फल : मकर, कुंभ। सामान्य शुभ फल : वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला।