भारत में मौसम संबंधी सेवाएँ
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास (भाग 4)
मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना 1875 में हुई। यह राष्ट्रीय मौसम सेवा है तथा मौसम विज्ञान, भूकम्प विज्ञान और संबद्ध विषयों की प्रमुख सरकारी एजेंसी है। देशभर में फैली इस विभाग की इकाइयाँ मौसम संबंधी सेवाएँ प्रदान करने के साथ-साथ मौसम तथा भूकम्पीय गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्र करती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य है मौसम पर निर्भर रहने वाली प्रमुख गतिविधियों- उड्डयन, जहाजरानी, कृषि, सिंचाई, समुद्र में तेल की खोज तथा उद्योगों को मौसम संबंधी सूचनाएँ उपलब्ध कराना।भारत ने सितंबर 2002 में भूस्थिर मौसम उपग्रह मेटसैट का प्रक्षेपण किया और इसका नाम बदलकर कल्पना-1 रखा। अप्रैल 2003 में एक अन्य बहुउद्देशीय भूस्थिर उपग्रह इन्सेट-3 ए छोड़ा गया। इस समय कल्पना, इन्सेट-3 ए और एनओएए शृंखला के उपग्रहों से मौसम संबंधी आँकड़े प्राप्त हो रहे हैं, जिनका उपयोग मौसम संबंधी विश्लेषण और मौसम के पुर्वानुमान के साथ- साथ हर घंटे बादलों के चित्र तैयार करने, इन्सेट मौसम आँकड़ा प्रसंस्करण प्रणाली तथा क्लाउड मोशन वैक्टर, समुद्र की सतह का तापमान, निर्गमिक दीर्घ तरंग विकिरण तथा वर्षा और हिमपात की मात्रा का पता लगाना।राष्ट्रीय उपग्रह आँकड़ा केंद्र (एनएसडीसी) अक्टूबर 2005 से आरंभ हुआ। इसके माध्यम से आँकड़ों का संग्रह किया जाता है और इन्सेट चित्र तथा वांछित उत्पाद वैब पोर्टल के जरिए उपयोग करने वालों तथा अनुसंधान करने वालों को उपलब्ध कराए जाते हैं। विभिन्न राज्य सरकारों और बंदरगाह अधिकारियों को चक्रवात की चेतावनी देने के लिए पूर्वी तथा पश्चिमी तट के चक्रवात की आशंका वाले इलाकों में 252 एनालॉग किस्म के तथा 100 डिजिटल चक्रवात चेतावनी प्रसार प्रणाली के रिसीवर लगाए गए हैं। देश में मौसम विज्ञान विभाग का देशभर में 40 राडारों का एक नेटवर्क है। राडार नेटवर्क के आधुनिकीकरण की योजना के अंतर्गत जर्मनी से आयातित एक एस-बैंड डॉपलर मौसम राडार मेट्रो 1500 एस विशाखापत्तनम में स्थापित किया गया है। चेन्नई, कोलकाता और मछलीपत्तनम में डॉपलर राडार पहले से ही कार्यरत है। मौसम विज्ञान विभाग देश के भीतर और आसपास भूकम्पीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए राष्ट्रीय नेटवर्क के अंतर्गत 51 भूकम्प विज्ञान वेधशालाएँ चलाता है। इनमें से 24 वेधशालाओं को नवीनतम डिजिटल ब्रॉडबैंड सिस्मोग्राफ प्रणालियों और आधुनिक संचार सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। नई दिल्ली में सेंट्रल रिसीविंग स्टेशन और राष्ट्रीय भूकम्प विज्ञान आँकड़ा केंद्र- नेशनल सिस्मोलॉजीकल डाटाबेस सेंटर (एनएसडीसी) की स्थापना की गई है।विभाग के फसल उपज निर्धारण एकांश ने सांख्यिकी मॉडल विकसित किए हैं, जिनमें कोरिलेशन तथा रिग्रेशन तकनीकों की मदद से धान उगाने वाले 26 उप-मंडलों और गेहूँ उगाने वाले 16 उप-मंडलों के लिए संचालन के आधार पर फसलोत्पादन के बारे में पूर्वानुमान लगाया जाता है। इन मॉडलों के आधार पर हर वर्ष अगस्त से दिसंबर के बीच धान और जनवरी से मई के बीच गेहूँ की कटाई से पहले मासिक फसल उत्पादन का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है।