मात्र बटन दबाने से मिलेगा चरमसुख
विस्टन-सलेम (नॉर्थ कैरोलिना)। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मशीन बना ली है, जो कि महिलाओं को चरम सुख (ऑर्गेज्म) मात्र एक बटन के दिलाने से मिल सकेगा। इस मशीन का अमेरिका में पेटेंट कराया गया है और वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन महिलाओं को चरम सुख की प्राप्ति नहीं होती है या ऐसा होने में कोई शारीरिक कमी है तो इसका इलाज भी किया जा सकता है।
विंस्टन-सलेम, नॉर्थ कैरोलिना के एक सर्जन ने एक ऐसा उपकरण बनाने का दावा किया है, जिससे महिलाओं में चरम सुख न मिल पाने की बीमारी (ऑर्गेजमिक डिसफंक्शन) का इलाज किया जा सकता है। इस मशीन में एक मेडीकल इम्प्लांट (आरोपण) शामिल है जोकि आकार में सिगरेट के एक पैकेट से भी छोटा होता है। इसको लगाए जाने के लिए एक ऑपरेशन की जरूरत होगी। आर्गेज्म दिलाने के लिए इलेक्ट्रोड्स का इस्तेमाल किया जाता है।
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इम्प्लांट कैसे काम करता है? : इम्प्लांट (रोपे जाने वाले उपकरण) को किसी व्यक्ति द्वारा एक सिग्नल दिया जा सकता है और यह सिग्नल एक रिमोट कंट्रोल से दिया जा सकेगा। एक आर्गेज्म को पैदा करने के लिए इलेक्ट्रिकल पल्सस (इलेक्ट्रिक धड़कन) से नर्व्स को उत्तेजित (स्टिमुलेट) किया जा सकेगा।इस उपकरण से जुड़े सम्पर्कों (कंटेक्ट्स) को मेरूदंड की एक निश्चित नर्व्स में फिट किया जाएगा। इसके साथ ही एक सिग्नल जेनरेटर को बीमार स्त्रियों की त्वचा के नीचे लगाया जाएगा और इसे संभवत: पीडित महिलाओं के कू्ल्हों के अंदर डाल दिया जाएगा। इसके निर्माता वैज्ञानिकों को भरोसा है कि इस मशीन की मदद से महिलाओं के ऑर्गेजमिक डिसफंक्शन (चरम सुख प्राप्त न होने की बीमारी का) इलाज किया जा सकता है। मांट्रियल, कनाडा स्थित कॉनकर्डिया यूनिवर्सिटी में सेक्सुअल विहवियर (यौन व्यवहार) की न्यूरोबॉयोलॉजी पढ़ाने वाले जिम फॉस ने न्यू साइंटिस्ट को बताया कि कुछ महिलाएं सिम्पैथेटिक अरूजल (एक लक्षण के तौर पर उत्तेजना) को ही चरम सुख समझने लगती हैं। जब उनकी हृदय गति बढ़ जाती है, उनके हाथों में उग्रता संचार होता है, नर्व्स (तंत्रिकाएं) डर के कारण सुन्न होने लगती हैं तो वे इन लक्षणों को ही चरम सुख समझने लगती हैं और वे जल्द से जल्द इस स्थिति से बाहर निकलना चाहती हैं।
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इस स्थिति का साइकोथेरेपी (मनोचिकित्सा) से इलाज किया जा सकता है, लेकिन इम्प्लांट के जरिए किए जाने वाला इलाज अधिक शारीरिक होता है। जब मरीज के शरीर में एक ऑपरेशन के जरिए इम्प्लांट लगाया जाता है तो वह बेहोश नहीं होता है क्योंकि ऐसी स्थिति में ही सर्जन यह बताने में सफल हो सकता है कि डॉक्टरों को बीमार के मेरुदंड की किन नर्व्स के साथ इलेक्ट्रोड्स को जोड़ना है। वे इसे एक सिग्नल जेनरेटर से जोड़ देते हैं जोकि बीमार व्यक्ति के कूल्हों के नीचे की त्वचा में लगा दिया जाता है।
इस इम्प्लांट को सक्रिय करने के लिए एक रिमोट की मदद ली जा सकती है जिसे आसानी से हाथों में पकड़ा जा सकता है। रिमोट का जैसे ही बटन दबाया जाता है, वैसे ही मरीज को चरम सुख की अनूभूति होती है। उल्लेखनीय बात यह है कि इस मशीन को इस तरह प्रोग्राम किया जा सकता है कि इसमें पहले से ही तय कर दिया जाए कि एक सप्ताह में कितने ऑर्गेज्म या एक दिन में कितने आर्गेज्म दिए जा सकते हैं।
क्या होता है ऑर्गेजमिक डिसफंक्शन... पढ़ें अगले पेज पर...
ऑर्गेजमिक डिसफंक्शन क्या होता है? : यह स्थिति तब पैदा होती है जबकि एक महिला या तो चरम सुख अनुभव करने के स्तर तक नहीं पहुंच पाती है या फिर यौन उत्तेजना के क्षणों में उसे ऑर्गेज्म तक पहुंचना मुश्किल होता है। ऐसा कहा जा सकता है कि करीब दस से 15 फीसद महिलाएं ऐसी भी होती हैं जिन्हें कभी भी इस सुख की प्राप्ति नहीं होती है।
मेडलाइन प्लस का कहना है कि विभिन्न सर्वेक्षणों से यह संकेत भी मिलता है कि 33 फीसद से लेकर 50 फीसद तक महिलाएं इस बात को लेकर असंतुष्ट रहती हैं कि वे कैसे बार-बार इस स्थिति को प्राप्त कर सकें। इस बीमारी का इलाज करने के फिलहाल जो उपाय हैं, उनमें काग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (ज्ञान संबंधी व्यवहार से जुड़ी चिकित्सा) और व्यवहारिक शिक्षा है लेकिन यह पहला अवसर है जब किसी उपकरण के माध्यम से इस बीमारी का इलाज करने का प्रयास किया गया।
जब महिला ने खुशी का इजहार किया तो... पढ़ें अगले पेज पर....
डेली मेल में प्रकाशित साराग्रिफिथ्स के लेख में इससे संबंधित विवरण के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी गई है और इस उपकरण के चिकित्सीय परीक्षणों को इस वर्ष रखा जाएगा। इस तकनीक के पीछे स्टुअर्ट मेलॉय का विचार है जोकि विंस्टन-सलेम, नॉर्थ कैरोलिना के पीडमोंट अनेस्थेसिया एंड पेन कंसलटेंट्स हैं। उन्हें यह विचार अचानक ही आया। उनका कहना था कि वे इलेक्ट्रोड्स को सक्रिय कर रहे थे तभी महिला ने जोर से खुशी का इजहार करने लगी। जब मेलॉय ने उससे पूछा कि माजरा क्या है तो उसका जवाब था- आपको ऐसा करने के लिए मेरे पति को सिखाना होगा। (
फोटो-साभार डेलीमेल ऑन लाइन) आश्चर्य की बात है कि मेलॉय ने इस उपकरण को अभी तक पुरुषों पर इस्तेमाल नहीं किया है। उनका कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह पुरुषों में भी वही परिणाम दे सकता है। माइनापॉलिस स्थित कंपनी मेडट्रोनिक इसके मेडिकल ट्रायल्स करने वाली है। लेकिन मेलॉय का कहना है कि इस तरह के उपकरण का प्रयोग बहुत ही गंभीर किस्म की बीमारी के इलाज के लिए किया जाए क्योंकि अन्यथा यह भी पेसमेकर जैसा तेजी से फैलने वाला उपकरण बनकर रह जाएगा।