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रविवार, 11 मार्च 2012 (23:48 IST)
चंद्र सारंग वादन के डॉ. बनर्जी इकलौते कलाकार
बाबा अलाउद्दीन खां द्वारा ईजाद किए गए चंद्र सारंग वाद्ययंत्र वादन के मात्र एक ही कलाकार शेष हैं। इस वाद्ययंत्र को बजाने वाले दुनिया के इकलौते कलाकार रीवा के डॉ . आरके बनर्जी हैं, जिनका सारंग वादन दुनियाभर में चर्चित है। डॉ. बनर्जी आज भी रोजाना दो घंटे चंद्र सारंग वादन का अभ्यास करते हैं। बाबा अलाउद्दीन खां ने चंद्र सांरग का निर्माण 1931 में किया।
बताया जाता है कि बाबा अलाउद्दीन खां ने दो चंद्र सांरग वाद्ययंत्र का निर्माण कराया और इसके वादन के लिए कई शिष्यों को प्रशिक्षण देना चाहा लेकिन जटिल अभ्यास के कारण कई शिष्यों ने अभ्यास छोड़ दिया। रीवा के डॉ. आरके बनर्जी चंद्र सारंग वादन में माहिर हो गए। डॉ. बनर्जी ने देश- विदेश में कई प्रस्तुतियां देकर लोगों का मन मोह लिया। डॉ. बनर्जी महज 10 वर्ष की उम्र से चन्द्र सारंग को बजाने का अभ्यास कर रहे हैं। 2009 में अमेरिका ने डॉ. बनर्जी को मैन ऑफ द ईयर के लिए नामांकित किया और कई पुस्तकों में चंद्र सारंग वादन कला का उल्लेख किया।
तूद की लकड़ी से निर्माण-
चन्द्र सारंग वाद्ययंत्र बंगाल में पाई जाने वाली तूद वृक्ष की लकड़ी से बना है। जो 45 अंश के कोण का होता है, जबकि अन्य वाद्ययंत्र 90 अंश कोण पर बने होते हैं। माना जाता है कि इस वाद्ययंत्र का आकार भगवान श्रीराम के धनुष के आकार का होने के कारण इसका नाम चंद्र सारंग पड़ा। डॉ. बनर्जी, बाबा से मिले ज्ञान को बांटना चाहते थे लेकिन किसी भी कलाकार ने चंद्र सारंग को सीखने की इच्छा नहीं जताई। चंद्र सारंग को सीखने के लिए कम से कम छः वर्ष का समय लगता है। डॉ बनर्जी की इच्छा थी कि उनका पुत्र जो पेशे से इंजीनियर है, चंद्र सारंग को बजाना सीखे, लेकिन उन्होंने भी सीखने से इंकार कर दिया।
17 मार्च को लगेगा दर्शकों का हुजूम-
चंद्र सारंग वाद्ययंत्र दुनिया में मात्र दो ही हैं। एक मैहर के म्यूजियम में तो दूसरा डॉ. बनर्जी के घर में। जबकि मैहर म्यूजियम में रखा चंद्र सारंग खराब हो चुका है। इसके चलते देश-विदेश के कई कलाकार डॉ. बनर्जी के पास मौजूद चंद्र सारंग वाद्ययंत्र को देखने और सीखने आते हैं। डॉ. बनर्जी 17 मार्च को होने वाले नेशनल सेमीनार में अपनी प्रस्तुति देगें, जिसमें देश- विदेश की कई नामी-गिरामी हस्तियां मौजूद रहेंगी।