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Written By WD

संतुलन बढ़ाता आंजनेय आसन

Anjanaya Asana, the Salutation Pose | संतुलन बढ़ाता आंजनेय आसन
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संस्कृत शब्द आंजनेय का अर्थ होता है अभिवादन या स्तुति। आंजनेय अंजी धातु से बना है जो सम्मान, उत्सव और अभिषेक के लिए प्रयुक्त होता है। हनुमानजी का एक नाम आंजनेय भी है। अंग्रेजी में इसे Salutation Pose कहते हैं।

अवधि : इस आसन में एक मिनट तक रह सकते हैं और इसे दो बार कर सकते हैं।

आसन से लाभ : अंजनेय आसन में और भी दूसरे आसन और मुद्राओं का समावेश है। इससे छाती, हथेलियां, गर्दन और कमर को लाभ मिलता है। इसका नियमित अभ्यास करने से जीवन में एकाग्रता और संतुलन बढ़ता है।

आसन विधि : सर्वप्रथम वज्रासन में आराम से बैठ जाएं। फिर धीरे से घुटनों के बल खड़े होकर पीठ, गर्दन, सिर, कूल्हों और जांघों को सीधा कर लें। हाथों को कमर से सटाकर रखें सामने और देंखे। बाएं पैर को आगे बढ़ाते हुए 90 डिग्री के कोण के समान भूमि कर रख दें। इस दौरान बायां हाथ बाएं पैर की जंघा पर रहेगा।

फिर अपने हाथों की हथेलियों को मिलाते हुए हृदय के पास रखें अर्थात नमस्कार मुद्रा में रखें। अब श्वास को अंदर खींचते हुए जुड़ी हुई हथेलियों को सिर के ऊपर उठाकर हाथों को सीधा करते हुए सिर को पीछे झुका दें। इसी स्थिति में धीरे-धीरे दाहिना पैर पीछे की ओर सीधा करते हुए कमर से पीछे की ओर झुके। इस अंतिम स्थिति में कुछ देर तक रहे।

अब फिर सांस छोड़ते हुए पुन: वज्रासन की मुद्रा में लौट आए। इसी तरह अब यही प्रक्रिया दाएं पैर को 9000 डिग्री के कोण में सामने रखते हए करें।

सावधानी : पेट और पैरों में किसी प्रकार की कोई गंभीर समस्या होतो यह आसन योग शिक्षक की सलाह पर ही करें।

-अनिरुद्
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