• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अलविदा 2024
  4. Year Ender 2024 Temples
Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 10 दिसंबर 2024 (16:39 IST)

Year Ender 2024: वर्ष 2024 में चर्चा में रहे हिंदुओं के ये खास मंदिर

Ram Lala ayodhya
2024 Year Ender: हिन्दू धर्म में प्रतिदिन जागते ही भगवान का स्मरण तथा घर के मंदिर में विराजित भगवान के दर्शन करने की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मंदिरों में जाकर देव-दर्शन और पूजा-पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है, इससे दिन अच्छा गुजरने तथा जीवन में सुख-शांति मिलने का भी प्रतीक माना गया है। चूंकि हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के पूजन का विशेष महत्व होने के कारण हर व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत भगवान के नाम तथा मंदिर जाकर पूजा से प्रारंभ करना चाहते है और मंदिर जाना पसंद भी करते हैं। 
 
जी हां, आपको बता दें कि साल 2024 में भारत के ये दो मंदिर या धार्मिक स्थल यानि अयोध्या, श्री राम मंदिर और आंध्र प्रदेश का तिरुपति बालाजी मंदिर सबसे अधिक चर्चा में रहे। 
Highlights 
  • साल 2024 में भारत के इन दो प्रसिद्ध मंदिरों की खूब हुई चर्चा। 
  • धार्मिक लिहाज से कौन-से दो मंदिर चर्चा में रहे।
  • इयर एंडर 2024 के चर्चा में रहने वाले 2 धार्मिक स्थल।
तो आइए आज की इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं वर्ष 2024 में वे कौन-से हिन्दुओं के खास मंदिर हैं और किस कारण विशेष चर्चा में भी रहे...
 
1. Ayodhya Ram Mandir राम मंदिर, अयोध्या : बता दें कि साल 2024 में अयोध्या में 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस मंदिर का उद्घाटन और प्राण-प्रतिष्ठा समारोह हुआ था और यही कारण था कि रामलला का ये मंदिर वर्ष 2024 में सबसे अधिक चर्चा का विषय रहा। भक्तों के करीबन 500 वर्षों के इंतजार के बाद भगवान राम अपने इस भव्य मंदिर में विराजमान हुए। तथा कई वर्षों से इस मंदिर के बनने का इंतजार सभी को था और यह काम पूरा करना किसी चमत्कार से कम भी नहीं था।

इस मंदिर की इतनी खासियत रही कि यहां न केवल रामलला की नई मूर्ति स्थापित की गई, बल्कि मंदिर निर्माण के साथ ही पूरे अयोध्या शहर का भी काया पलट हो गया। मंदिर निर्माण से लेकर अब भी भक्तों की भारी भीड़ यहां देखी जा सकती है। 
 
साथ ही इस नए मंदिर में प्रभु श्री राम की मूर्ति की प्रतिष्ठा के बाद पहली रामनवमी पर जब सूर्य की किरणें सीधे राम लला की मूर्ति के माथे पर केंद्रित हुई तो यह नजारा भी देखने लायक था, यह सूर्य तिलक लगभग 4-5 मिनट तक देखा गया और राम लला का यह सूर्य तिलक एक इतिहास बन गया है। इस तरह उत्तर प्रदेश के अयोध्या में अपराह्न 12 बजे भगवान श्री राम लला का 'सूर्य तिलक' संपन्न हुआ, और इसे 'सूर्य तिलक परियोजना' के तहत वैज्ञानिकों ने संभव बनाया। जो भी काफी अधिक चर्चा में रहा।

Tirupati Balaji
2. Tirupati Balaji Mandir तिरुपति बालाजी मंदिर : आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति से करीब 22 कि.मी. दूरी पर तिरुमाला पहाड़ी पर भगवान वेंकटेश्वर बालाजी का मंदिर है, जो अपार श्रद्धा का प्रतीक है, इस मंदिर में भगवान श्री विष्णु की पूजा होती है और भगवान वेंकटेश्वर की ख्याति तिरुपति बालाजी के रूप में प्रसिद्ध हैं, जहां भगवान श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती/ माता लक्ष्मी के साथ तिरुमला में निवास करते हैं। और इस मंदिर के प्रति भक्तों की अपार श्रद्धा होने के कारण हर साल यह मंदिर अधिक ट्रेंड में रहता है, क्योंकि यहां दर्शन करने जाने वाली भक्तों की अपार भीड़ और यहां चढ़ाया जाने वाला चढ़ावा रिकॉर्ड तोड़ होता है, जो कि सोने-चांदी के आभूषण तथा नकदी रकम के रूप में होता है। 
 
आपको बता दें कि सितंबर 2024 में इस मंदिर को लेकर एक ऐसी खबर सामने आई, जो अधिक चर्चा का विषय बन गई। और इस बार तिरुपति बालाजी मंदिर के चर्चा में आने का सबसे बड़ा और खास कारण था मंदिर में मिलने वाला प्रसाद यानि तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम को लेकर। यहां प्रसाद के तौर पर मिलने वाला एक बड़ा लड्‍डू धार्मिक रूप से काफी शुभ माना जाता रहा है, लेकिन इस साल लड्डू में मिलावट की खबर ने सबको चौंका दिया था।
 
जी हां, मान्यतानुसार तिरुपति बालाजी का दर्शन इस लड्डू के प्रसाद बिना अधूरा माना जाता है। यहां लड़्डू का प्रसाद मुख्य रूप से यह पंचमेवा से बनता है जो कि पांच इंद्रियों का प्रतीक माना जाता है। इसमें बेसन, घी, चीनी, काजू, किशमिश आदि सामग्री मिलाकर यह लड्डू बनाते हैं। लेकिन इस लड्‍डू को लेकर हैरान करने वाली खबर यह थी कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जो घी उपयोग में लाया जा रहा था, वह जानवरों की चर्बीयुक्त था, इसकी खूब चर्चा हुई। साथ ही लड्‍डू में मछली के तेल की मिलावट का भी मामला सामने आया। और लड्डू में जानवरों की चर्बी होने की बात से लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची तथा उनके द्वारा यहां के प्रसाद को लेकर अपना धर्म भ्रष्ट होने की बातें भी इन चर्चा के दौरान सुनाई दी। और इस तरह यह मंदिर वर्ष 2024 में सबसे अधिक चर्चा में छाया रहा। 

Abu Dhabi Hindu Mandir सउदी अरब हिन्दू मंदिर : साल 2024 के हिन्दू मंदिरों की चर्चा की इस कड़ी में आइए जानते हैं यहां अबूधाबी में बने पहले हिन्दू मंदिर के बारे में, जो कि इस वर्ष काफी सराहा गया। इस मंदिर के लिए जमीन यूएई के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने तोहफे में दी है। जो कि हाइवे से सटी ये जगह अबू धाबी से लगभग 30 मिनट की दूरी पर है।
 
यह मंदिर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबूधाबी में बनाया गया है तथा इस मंदिर का निर्माण सऊदी अरब में स्थित अबू धाबी में 'अल वाकबा' नामक जगह पर किया गया, जो कि 27 एकड़ में फैला हुआ है और इसे बनाने में करीबन 700 करोड़ रुपए खर्च आया है। इस मंदिर में बेहद खास वास्तुकला के साथ ही दीवारों पर हाथियों को मालाओं के साथ तथा शिल्प के जरिये मोर और मानवीय आकृतियों को जीवित किया गया है और इसे भारत की पारंपरिक मंदिर वास्तुकला के हिसाब से तैयार किया है। इसकी खासियत यह है कि इसमें लोहा या उससे बनी सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया है। भारतीय दूतावास के आंकड़ों के अनुसार, यहां तकरीबन 26 लाख भारतीय रहते हैं, जो यूएई की आबादी का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा है। 
 
आपको बता दें कि ये मंदिर बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) ने बनाया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबूधाबी में बने इस पहले हिन्दू मंदिर की आधारशिला 11 फरवरी 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रखी थी तथा अल वाकबा में बने इस मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 2019 में शुरू हुआ था तथा इस मंदिर का उद्घाटन 14 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है, स्वामी नारायण के विग्रह की इस प्राणप्रतिष्‍ठा के दौरान 42 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

ये भी पढ़ें
Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी की 10 खास बातें