समाज में नारी को भोगने का रोग लग गया है
- रेखा भाटिया
लगातार बढ़ती बलात्कार की घटनाओं के खिलाफ अमेरिका निवासी स्वतंत्र लेखिका रेखा भाटिया ने वेबदुनिया को अपने ज्वलंत विचार भेजे हैं। ज्ञान की दृष्टि से देखें या विज्ञान की दृष्टि से खोजें- पांच तत्वों से बनी इस सृष्टि को जीवंत बनाने के लिए, उसकी सुंदरता, देखभाल, उसकी उन्नति और मानव जीवन की उत्पत्ति के लिए भगवान ने जो छटा तत्व बनाया है वह है 'नारी'। नारी जो धरती पर भगवान की प्रतिनिधि है। नारी जननी है। वह शक्ति है। उन्नति है। ममता का भाव है। जिम्मेदारियों की वाहक है। जीवन का रस है। वह मानव जाति का सम्मान है। समाज की धुरी है। वह जीवन चक्र का केंद्रबिंदु है जहां से हर रिश्ता होकर गुजरता है। नारी जिसे हिन्दू धर्म में 'देवी' का स्थान प्राप्त है। जिसकी प्रतिमा को मंदिर में स्थापित कर पूजा जाता है। सम्मान प्रदान किया जाता है। ऐसी भारतीय संस्कृति, सभ्यता, समाज को कौनसा ग्रहण लग गया है जो उसे नारी को भोगने का रोग लग गया है। आज का हमारा समाज, उसकी मानसिकता दोहरेपन का शिकार है। एक तरफ महिला को देवी का, शक्ति का रूप माना जाता है, दूसरी तरफ उसके औरत होने का अपमान कर उसके खिलाफ बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में दिन दुगुनी रात चौगुनी बढ़ोतरी होती जा रही है। महिलाओं की सहनशक्ति, ख़ामोशी, धैर्य की ही हर बार हमारे समाज में परीक्षा ली जाती रही है। महिलाओं की चुप्पी भी इस तरह के अपराधों को बढ़ावा देने के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है।