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Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 6 अगस्त 2024 (15:14 IST)

कन्धा टूटा लेकिन जज्बा नहीं, योद्धा की तरह लड़ी भारत की शेरनी

बुलंद हौसले की मिसाल हैं हरियाणा की रेसलर निशा

Nisha Dahiya Paris Olympic 2024
Nisha Dahiya Paris Olympic 2024

Nisha Dahiya Paris Olympic 2024:  पैरिस ओलंपिक में वुमेंस रेसलिंग के 68 किलोग्राम भारवर्ग में भारत की निशा दहिया को क्वार्टरफाइनल में उत्तर कोरिया की सोल गम पाक से हार का सामना करना पड़ा। मुकाबले की शुरुआत में वह सोल पर भारी पड़ रही थीं। लेकिन चोट के बाद मैच उनके हाथों से फिसलता चला गया। भले ही इस मुकाबले में निशा जीत नहीं पाई लेकिन भारत की ये बेटी आखिर तक एक योद्धा की तरह डटी रही। 

एशियाई चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता पहलवान निशा ने उत्तर कोरिया की पहलवान के खिलाफ शुरुआती कुछ सेकंड में ही चार शून्य की बढ़त बना ली थी। इसके बाद 3 मिनट के शुरुआती पीरियड में रक्षात्मक रवैया अपना कर उत्तर कोरिया की पहलवान को कोई मौका नहीं दिया। सोल गम ने दूसरे पीरियड में शुरुआत में एक अंक हासिल किया लेकिन निशा ने उन्हें रिंग से बाहर कर अपनी बढ़त 6-1 कर ली। उन्होंने दो और अंक लेकर अपनी बढ़त मजबूत की लेकिन इस दौरान उनका दाहिना हाथ गंभीर रूप से घायल हो गया। मुकाबले में बस 1 ही मिनट बचा था लेकिन निशा दर्द से कराह उठीं। लेकिन उन्होंने इलाज के बाद फिर खेलना शुरू किया। हालाँकि चोंट और दर्द की वजह से वे उत्तर कोरिया की पहलवान को रोकने में सफल नहीं रही और नम आंखों के साथ मैच से नीचे उतरी।

उनकी आँखों में देश के नाम जीत न कर पाने का मलाल साफ़ दिख रहा था। लेकिन भारत की ये शेरनी एक जाबांज योद्धा की तरह आखिर तक डटी रही ये पूरे देश और दुनिया ने देखा। देश की बेटी की इस हिम्मत को हम सलाम करते हैं।  

Nisha Dahiya: बुलंद हौसले की मिसाल हैं हरियाणा की रेसलर निशा
पानीपत के गांव अदियाना की रहने वाली निशा दहिया ने बचपन से ही कुश्ती में करियर बनाने का मन बना लिया था। निशा के पिता एक किसान हैं, जिनका सपना था कुश्ती में नाम कमाने का, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए। वहीं, निशा ने अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए कुश्ती के खेल को चुना। परिवार की सबसे छोटी बेटी निशा को मां-पिता के और पूरे परिवार का साथ मिला। 12 साल की उम्र से निशा ने कुश्ती की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी और फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 2014 में निशा ने अंडर-16 एशियन खेल थाईलैंड में पहला मेडल जीता था।

4 साल के बैन के बाद नहीं हारी हिम्मत
निशा के करियर में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब डोपिंग परीक्षण में फेल होने के कारण उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा। यह समय उनके लिए काफी मुश्किल। इस मुश्किल दौर से उबरते हुए, निशा ने 2019 में उम्र-23 नेशनल चैंपियनशिप जीतकर शानदार वापसी की।