गुरुवार, 14 नवंबर 2024
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रसोईघर में ये आकृति बनाएंगे तो होगा वास्तुदोष दूर और रहेगी बरकत

रसोईघर में ये आकृति बनाएंगे तो होगा वास्तुदोष दूर और रहेगी बरकत | Kitchen
रसोईघर से आपकी सेहत और समृद्धि जुड़ी हुई है। इसीलिए रसोईघर को आप आयुर्वेद और वास्तुशास्त्र के अनुसार जितना अच्छा रख सकते हैं रखें। लेकिन हम आपको यहां बताने जा रहे हैं वास्तु की एक छोटी सी टिप्स जिसके आजमाने से रसोईघर का वास्तुदोष तो दूर होगी ही साथ ही बरकत भी बनी रहेगी।
 
 
जरूरी नियम- वैसे रसोईघर आप आग्नेय कोण में ही बनाएं। कुछ वास्तुशास्त्री मानते हैं कि पूर्व में किचन स्टैंड होना चाहिए और कुछ आग्नेय में रखने की सलाह देते हैं। वास्तु विज्ञान के अनुसार रसोईघर आग्नेय कोण में होना शुभ फलदायी होता है। यदि ऐसा नहीं है तो इससे घर में रहने वाले लोगों की सेहत, खासतौर पर महिलाओं की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अन्न-धन की भी हानि होती है। रसोईघर में जल का स्थान आप ईशान कोण में ही रखें। पीतल के बर्तन में भोजन करना, तांबे के बर्तन में पानी पीना अत्यंत ही लाभकारी होता है।
 
 
कौन सी आकृति लगाएं?
इसके लिए हमने चार तरह की आकृतियों का चयन किया है। आप इनमें से किसी भी दो तरह की आकृति का उपयोग कर सकते हैं। पहली आकृ‍ति तो परंपरागतरूप से बनाई जाने वाली आकृति है जो मांडना या अल्पना कला के अंतर्गत आती है। दूसरी प्रकार की आकृतियां वास्तुदोष को मिटाने हेतु है। हालांकि मांडना से भी वास्तुदोष दूर होता है।
 
1.रसोईघर में छींका चौक, मां अन्नपूर्णा की कृपादृष्टि बनी रहे, इस हेतु विशेष फूल के आकार की अल्पना बनती है जिसके 5 खाने बनते हैं। हर खाने में विभिन्न अनाज-धन-धान्य को प्रतीकस्वरूप उकेरा जाता है। गोल आकार में बनी इस अल्पना के बीच में दीप धरा जाता है। अक्सर आप इस तरह की अल्पना या मांडना को गुजरात, मालवा, निमाड़ या राजस्थान के ग्रामीण या आदिवासियों के घरों में देख सकते हैं।
 
 
2.यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं कि रसोईघर में किचन स्टैंड के ऊपर सुंदर फलों और सब्जियों के चित्र लगाएं। अन्नपूर्णा माता का चित्र भी लगाएंगे तो घर में बरकत बनी रहेगी।
 
3.जिस घर में रसोईघर दक्षिण-पूर्व यानी आग्नेय कोण में नहीं हो तब वास्तु दोष को दूर करने के लिए रसोई के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगानी चाहिए।
 
 
4.यदि आपका रसोईघर अग्निकोण में न होते हुए किसी ओर दिशा में बना है तो वहां पर यज्ञ करते हुए ऋषियों की चित्राकृति लगाएं।