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  4. Effect of 32 Types of Doors or directions according to Vastu
Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 5 अक्टूबर 2024 (16:10 IST)

Vastu : घर की 32 दिशाओं को जान लेंगे तो वास्तु को ठीक करना होगा आसान

32 Types of Doors: 32 प्रकार की दिशाओं के दरवाजे में से 9 हैं अतिशुभ

diwali main door decoration
Knowledge of 32 directions: आपने 4 दिशाओं के बारे में सुना होगा। उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्‍चिम। इसके अलावा आपने ईशान कोण, वायव्य कोण, आग्नेय कोण और नैऋत्य कोण के बारे में भी सुना होगा। कुल मिलाकर 8 दिशाएं हो गई, लेकिन वास्तु शास्त्र में मुख्य 16 और कुल 32 दिशाओं के बारे में जानकारी मिलती है। आओ जानते हैं 32 दिशाओं के बारे में संक्षिप्त में जानकारी।

  • 4 नहीं 32 दिशाएं होती हैं वास्तु शास्त्र के अनुसार
  • 32 दिशाओं में से अति शुभ है 9 दिशाएं
  • घर बनाते वक्त रखें 32 दिशाओं का ज्ञान
 
1. आमतौर पर किसी भी प्लाट या भूमि के चार कोने होते हैं यानी वह चतुष्कोण या चतुर्भुज है। यदि एक भाग के 8 हिस्से किए जाए तो चार भागों के 32 भाग होते है। प्रत्येक भाग एक दिशा और ऊर्जा को इंगित करता है और प्रत्येक भाग का एक नाम है।
 
2. क्रम से उत्तर से पूर्व दिशा की ओर के भागों का नाम है- शिखी, परजन्या, जयंता, इंद्र, सूर्य, सत्य, भृष और आकाश।
 
3. क्रम से पूर्व से दक्षिण दिशा के भागों का नाम है- अनिल, पूशा, विताथा, गृहरक्षित, यम, गंधर्व, भृंगराज और मृगा।
 
4. क्रम से दक्षिण से पश्चिम दिशा के भागों का नाम है- पित्रा, द्वारिका, सुग्रीव, पुष्पदंत, वरुण, नकारात्मा, शौका और पपीक्षमा। 
 
5. क्रम से पश्चिम से उत्तर दिशा के भागों के नाम है- रोगा, नागा, मुख्य, भल्लत, सोमा, भुजंग, अदिति और दिति।
 
उपरोक्त 32 में से 9 स्थान पर द्वार बनाना शुभ है?
उपरोक्त में से यदि पूर्व में जयंत और इंद्र नामक स्थान पर द्वार बनाना शुभ है। दक्षिण में विटथ और गृहरक्षित नामक स्थान पर द्वार बनाना शुभ है। पश्चिम में सुग्रीव और पुष्पदंत नामक स्थान शुभ हैं। उत्तर में मुख्य, भल्लत और सोमा नामक स्थान शुभ है। 
 
यदि आपको लगाता है कि आपका उत्तर मुखी या पूर्व मुखी मकान है फिर भी समस्याएं आ रही हैं तो उपरोक्त स्थान के अनुसार ही द्वार का निर्माण हुआ तो अति शुभ होगा बाकी के द्वारा के फल या परिणाम अलग-अलग हैं।
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