मां सरस्वती की रचना कैसे हुई
जानिए कैसे अवतरण हुआ मां सरस्वती का
दत्तात्रय होस्करे ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करने के बाद, मनुष्य की रचना की। मनुष्य की रचना के बाद उन्होंने अनुभव किया कि मनुष्य की रचना मात्र से ही सृष्टि की गति को संचालित नहीं किया जा सकता। उन्होंने अनुभव किया कि नि:शब्द सृष्टि का औचित्य नहीं है, क्योंकि शब्द हीनता के कारण विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं था और अभिव्यक्ति के माध्यम के नहीं होने के कारण ज्ञान का प्रसार नहीं हो पा रहा था। विष्णु से अनुमति लेकर उन्होंने एक चतुर्भुजी स्त्री की रचना की जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। रसयुक्त हैं इसलिए पड़ा नाम सरस्वती
रसयुक्त हैं इसलिए पड़ा नाम सरस्वती
शब्द के माधुर्य और रस से युक्त होने के कारण इनका नाम सरस्वती पड़ा। सरस्वती ने जब अपनी वीणा को झंकृत किया तो समस्त सृष्टि में नाद की पहली अनुगूंज हुई। चूंकि सरस्वती का अवतरण माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था अत: इस दिन को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।