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Last Updated :बहराइच , सोमवार, 9 सितम्बर 2024 (21:58 IST)

Operation Bhediya : 18 शूटर, 165 वनकर्मी, 50 दिन बीतने के बाद भी बहराइच में क्यों सफल नहीं हो पा रहा है ऑपरेशन भेड़िया

8 लोगों की जान और 20 लोगों को घायल कर चुके हैं भेड़िए

Operation Bhediya :  18 शूटर, 165 वनकर्मी, 50 दिन बीतने के बाद भी बहराइच में क्यों सफल नहीं हो पा रहा है ऑपरेशन भेड़िया - Operation Bhediya :  18 शूटर, 165 वनकर्मी, 50 दिन बीतने के बाद भी बहराइच में क्यों सफल नहीं हो पा रहा है ऑपरेशन भेड़िया
Operation Bhediya News Bahraich : उत्तरप्रदेश के बहराइच जिले की महसी तहसील के भेड़िया प्रभावित क्षेत्र में विभिन्न जगहों से भेड़ियों के दिखने की झूठी खबरों और तलाश स्थलों पर एकत्र होने वाली लोगों की भीड़ के कारण उत्तर प्रदेश वन विभाग को भेड़ियों को पकड़ने या उन्हें मार गिराने के प्रयास में बाधा का सामना करना पड़ रहा है। भेड़ियों ने जुलाई के मध्य से अब तक 8 लोगों की जान ले ली है और करीब 20 से अधिक लोगों को घायल कर दिया है।
 
प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) अजीत प्रताप सिंह ने पीटीआई से कहा कि   ‘जब-जब हम तलाशी अभियान के लिए किसी स्थान पर जाते हैं और पगमार्क (पैरों के निशानों) के आधार पर तलाशी शुरू करते हैं तो आम जन अपनी उत्सुकता को रोक नहीं पाते। लोगों की भीड़ से अभियान में बाधा आती है और जानवर के भाग निकलने की संभावना बन जाती है। हालांकि बीते दो तीन दिन से उपद्रवी भेड़िया ड्रोन अथवा स्नैप कैमरों में कहीं दिखाई नहीं दिया है।
डीएफओ बताते हैं कि ‘‘एक और दिक्कत अफवाहों से आ रही है। शाम होते होते 10-15 जगहों से कहीं से दो भेड़ियों के होने, कहीं से चार के और कहीं-कहीं से तो छः भेड़ियों के होने की अफवाहें आ जाती हैं, जबकि वास्तव में वहां भेड़िया नहीं होता। लोग तलाशी अभियान के लिए दबाव बनाने लगते हैं। हालांकि, हम निर्णय अपने विवेक के आधार पर ही लेते हैं।’’
 
डीएफओ सिंह ने बताया कि "बीते तीन चार दिन में एक बार हमने भेड़िए को घेर लिया था लेकिन वो भागने में कामयाब रहा, दूसरी बार उसके बारे में कुछ पता लगा, लेकिन हमारी घेराबंदी से पहले निकल गया। संभवतः वह ड्रोन की आवाज सुनकर भाग निकला।’’
 
उन्होंने बताया कि भेड़िया प्रभावित क्षेत्र की निगरानी के दौरान 8/9 सितम्बर की रात उनकी किसी टीम को भेड़िए की स्नैप कैमरे या थर्मल ड्रोन से लोकेशन नहीं मिली और ना ही गश्ती दल को कहीं पर भी उसके पदचिह्न दिखाई दिए।
 
प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि जनजागरूकता टीमें गांवों में पोस्टर व फ्लेक्स बैनर लगाकर तथा संगोष्ठी बैठकों के माध्यम से ग्रामीणों को उपद्रवी भेड़िए से बचाव हेतु जागरूक कर रही हैं। उन्होंने कहा कि रात्रि गश्त में टीम को जो लोग घरों से बाहर सोते मिलते हैं, उन्हें घरों के भीतर दरवाजे बंद करके सोने की हिदायत दी जा रही है।
 
सिंह ने बताया कि उपद्रवी भेड़िए को संवेदनशील व संभावित आवागमन वाले गांवों के भीतर घुसने से रोकने के लिए उन गांवों के बाहर पटाखे छुड़ाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि दूर से सियार भी भेड़िए जैसा ही लगता है, लेकिन दूर से हम उसकी चाल देखकर व नजदीक आने पर चेहरे से पहचान लेते हैं। सियार व भेड़िए के व्यवहार में मूलभूत अंतर ये दिखलाई दिया है कि ड्रोन की आवाज से भेड़िया तुरन्त भाग निकलता है, वहीं सियार ड्रोन की आवाज सुनकर भी चुपचाप पड़ा रहता है।
 
प्रदेश की मुख्य वन संरक्षक रेनू सिंह ने पत्रकारों से बताया कि ‘‘भेड़ियों के हमले से कुल आठ लोगों की मृत्यु हुई है और 20 घायल हुए हैं। नजर में आए छः में से चार भेड़ियों को हम पहले ही पकड़ चुके हैं, लेकिन 29 अगस्त को पकड़े गए अंतिम भेड़िये के बाद से अभी तक कोई भेड़िया हाथ नहीं लगा है।’’
 
उन्होंने बताया कि वन विभाग के 165 कर्मियों व 18 शूटरों की मदद से पूरी कोशिश की जा रही है और गश्ती दल दिन-रात निगरानी कर रहे हैं। चार थर्मल ड्रोन लगातार उड़ान भर रहे हैं।
 
जिलाधिकारी मोनिका रानी ने बताया कि महसी के भेड़िया प्रभावित इलाके में जिला प्रशासन की तरफ से जरूरी इंतजाम किए गए हैं। आश्रय विहीन लोगों के लिए पंचायत भवन और विद्यालयों में रात्रि आश्रय बनाए गए हैं।
 
भेड़िया प्रभावित गांवों के 120 घरों में दरवाजे लग चुके हैं, 300 से अधिक घरों को दरवाजे लगाने के लिए चिह्नित किया गया है। कुछ इलाकों में सोलर लाइटें लग चुकी हैं कुछ क्षेत्रों में इस पर काम चल रहा है।
 
गौरतलब है कि ‘ऑपरेशन भेड़िया’ के शुरू हुए 50 दिन बीत चुके हैं। चौथा भेड़िया कैद होने के बाद बीते 10 दिनों से वन विभाग को कोई उल्लेखनीय कामयाबी नहीं मिल सकी है। बहराइच की महसी तहसील के करीब 50 गांव भेड़ियों के आतंक से प्रभावित हैं। 17 जुलाई से अभी तक आठ लोगों की मौत हिंसक वन्यजीवों के हमलों में हुई है, जबकि कई लोग घायल हुए हैं। कुल छः भेड़ियों में से चार पकड़े जा चुके हैं।  भाषा
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