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Last Updated : गुरुवार, 14 नवंबर 2024 (16:24 IST)

UP: परवेज मुशर्रफ से जुड़ी जमीन की हुई नीलामी, 3 लोगों ने खरीदी

UP: परवेज मुशर्रफ से जुड़ी जमीन की हुई नीलामी, 3 लोगों ने खरीदी - Land related to Pervez Musharraf was auctioned
बागपत (यूपी)। उत्तरप्रदेश के बागपत जिले के कोताना में स्थित शत्रु संपत्ति के अंतर्गत आने वाली 2 हैक्टेयर जमीन को 3 लोगों ने नीलामी में खरीदने के बाद उसका 25 फीसदी रुपया जमा करा दिया है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। नीलामी में जिन जमीनों की बिक्री की गई है वह पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) से जुड़ी बताई गई है।
 
जिले के अपर जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) पंकज वर्मा ने बातचीत में कहा कि 8 प्लॉट जिसमें कुल 13 बीघा जमीन है, इन्हें 3 लोगों ने ऑनलाइन नीलामी के जरिए 1 करोड़ 38 लाख 16 हजार रुपए में खरीदा है। इसका 25 फीसदी पैसा इनको जमा करना था, जो वे कर चुके हैं।ALSO READ: उत्तरप्रदेश के सभी मंडलों में Kumbha Conference कराएगी सरकार, आज से हुई शुरुआत
 
उक्त नीलाम सम्पत्ति को सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के पूर्व दिवंगत राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिजनों की बताई जा रही है। हालांकि वर्मा के अनुसार इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है और न ही कोई ऐसा प्रमाण सामने आया है कि नुरू, परवेज मुशर्रफ का परिजन था।

राजस्व अभिलेख में यह शत्रु संपत्ति नुरू के नाम से दर्ज है जिसे नीलाम किया गया है। इस नुरू और परवेज मुशर्रफ के बीच कोई दस्तावेजी संबंध नहीं है। रिकॉर्ड में केवल इतना दिखाया गया है कि नुरू एक निवासी था, जो 1965 में पाकिस्तान चला गया था।ALSO READ: उत्तरप्रदेश की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी दुकानों पर नाम-पता लिखना हो अनिवार्य, भाजपा नेता की मुख्यमंत्री से मांग
 
पंकज ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित किया था और इसकी बिक्री स्थापित नियमों के अनुसार की गई। उन्होंने यह भी कहा कि बड़ौत तहसील से करीब 8 किलोमीटर दूर कोताना गांव में स्थित यह जमीन आवासीय श्रेणी में नहीं आती। वहीं बड़ौत के उप जिलाधिकारी अमर वर्मा पहले ही बातचीत में बता चुके हैं कि मुशर्रफ के दादा कोटाना में रहते थे। जहां तक पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का सवाल है, उनका जन्म दिल्ली में हुआ था। वे यहां कभी नहीं आए और इन लोगों की यहां संयुक्त जमीन है।
 
वर्मा ने बताया कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन और मां जरीन बेगम कभी इस गांव में नहीं रहीं, लेकिन उनके चाचा हुमायूं लंबे समय तक यहां रहे थे। उन्होंने कहा कि गांव में एक घर भी है, जहां हुमायूं आजादी से पहले रहते थे। 2010 में इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta