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Last Updated : बुधवार, 28 अगस्त 2024 (12:07 IST)

44 साल बाद बिजली उपभोक्ता को मिला न्याय, तीसरी पीढ़ी के पक्ष में आया न्यायालय का फैसला

44 साल बाद बिजली उपभोक्ता को मिला न्याय, तीसरी पीढ़ी के पक्ष में आया न्यायालय का फैसला - Electricity consumer got justice after 44 years
गाजीपुर। भगवान के घर देर है अंधेर नहीं, यह बात उस समय सही साबित हुई, जब एक बिजली उपभोक्ता परिवार न्याय के लिए 3 पीढ़ी गुजरने तक लड़ाई लड़ता और आखिरकार उसे 44 साल बाद जीत हासिल हुई। अपर सिविल जज (जूडी) के आदेश के बाद लाल दरवाजा स्थित बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता कार्यालय को पुलिस ने सील कर दिया है। न्यायालय के आदेश पर विद्युत उपभोक्ता को 16.48 लाख रुपए क्षतिपूर्ति न देने पर बिजली विभाग पर कार्रवाई की गई है।
 
कोर्ट के आदेश पर पुलिस और अमीन मंगलवार को लाल दरवाजा क्षेत्र में बिजली निगम के दफ्तर पर पहुंचे, जहां उन्होंने डुगडुगी बजवाकर अधीक्षण अभियंता विद्युत वितरण खंड प्रथम और मीटर विभाग के कार्यालय को कुर्क करते हुए सीज कर दिया। ऐसा इसलिए किया कि सन् 1980 में बिजली निगम द्वारा एक उपभोक्ता का कनेक्शन काट दिया गया था। पीड़ित ने अपना पक्ष रखते हुए न्यायालय की शरण ली।
 
बिजली विभाग की मनमानी से पीड़ित परिवार न्याय की आस में 44 साल तक लड़ाई लड़ता रहा। केस लड़ते हुए उसकी तीसरी पीढ़ी आ गई। बिजली विभाग ने तीसरी पीढ़ी को 16.48 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति बिजली निगम द्वारा नहीं देने पर न्यायालय ने संज्ञान लिया जिसके चलते बिजली निगम के कार्यालय को 1 महीने के लिए कुर्क कर दिया।
 
गौरतलब है कि वर्ष 1980 में बाबूलाल साहू ने अपने माल गोदाम स्थित घर पर एक आटा चक्की और सरसों का तेल निकालने के लिए कोल्हू व मशीन लगाई थी। बाबूलाल के घर एक दिन बिजली निगम के कर्मचारी रात्रि में बिजली कनेक्शन काटने पहुंचे और बिजली काट दी। बिजली विभाग के गलत एक्शन के बाद पीड़ित बाबूलाल बिजली विभाग में अपना पक्ष रखने के लिए चक्कर लगाता रहा, लेकिन विभाग ने उसका पक्ष अनदेखा कर दिया। थक-हार वह कोर्ट की शरण में पहुंचा था।  इस लड़ाई को लड़ते हुए 44 साल हो गए। मामला 1980 से लेकर अब तक न्यायालय में चलता रहा।
 
न्यायालय ने इस मामले में बिजली निगम को कई बार नोटिस भी जारी किए, लेकिन बिजली निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अनदेखी करते हुए नोटिस पर सुध नहीं ली। 
 
वादी बाबूलाल पक्ष चुप नहीं बैठा और वह मामला लेकर हाईकोर्ट पहुंच गया। न्यायालय ने वादी की सुनवाई करते हुए उसके पक्ष में निर्णय देते हुए 1980 से लेकर 1 मई 2014 तक 4000 प्रतिमाह के हिसाब से 16.48 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति पीड़ित को देने का आदेश दिया था।
 
बिजली विभाग ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए वादी को क्षतिपूर्ति के 16.48 लाख रुपए नहीं दिए। क्षतिपूर्ति न मिलने पर वादी बाबूलाल के पोते गणेश साहू ने फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसके बाद न्यायालय ने लाल दरवाजा स्थित बिजली निगम का कार्यालय खंड प्रथम की निजी संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया।
 
न्यायालय के आदेश पर पुलिस और कोर्ट अमीन ने बिजली निगम कार्यालय को खाली कराते हुए उसके मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया है। न्याय मिलने पर साहू परिवार खुश है और उसका कहना है कि लंबी लड़ाई के बाद उनकी जीत हुई है। 
 
Edited by: Ravindra Gupta
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