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Written By अवनीश कुमार
Last Modified: बुधवार, 20 मई 2020 (12:56 IST)

बस विवाद में अखिलेश यादव का बड़ा बयान, यूपी में लगभग 1 लाख बसें, इनका उपयोग क्यों नहीं

बस विवाद में अखिलेश यादव का बड़ा बयान, यूपी में लगभग 1 लाख बसें, इनका उपयोग क्यों नहीं - Akhilesh Yadav on Bus controversy
लखनऊ। कोरोना महामारी के संकट से जहां पूरा देश लड़ रहा है, वही प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश में लाने के लिए सियासी जंग छिड़ी हुई है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। एक तरफ कांग्रेस सड़कों पर उतरकर योगी सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है तो वही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी योगी सरकार को घेरने का प्रयास किया है और टीम 11 पर हमला बोला है।
 
उन्होंने कहा है कि टीम-11 को राज्य की सरकारी और प्राईवेट बसों की संख्या भी ठीक से पता नहीं है जबकि उत्तर प्रदेश में ही लगभग एक लाख बसें है, इनका उपयोग क्यों नहीं किया गया?
 
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में न तो श्रमिकों का पलायन रूक रहा है और नहीं प्रशासन अपना दुर्भावनापूर्ण रवैया छोड़ पा रहा है। भूखे, प्यासे लोगों के पांवों में खून रिसने लगा है, तपती धूप में बच्चे बिलबिला रहे हैं और असहाय माँ-बाप रोटी और दूध भी नहीं जुटा पा रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था की स्थिति भी ठीक नहीं, आए दिन हत्याएं हो रही हैं। लॉक डाउन के इस बद से बदतर हालात में भी मुख्यमंत्री जी अगर सब नियंत्रण में है, का दावा कर रहे हैं। उन्हें कायदे से अब बिना देर किए त्यागपत्र दे देना चाहिए। ताकि कोई सक्षम उत्तराधिकारी प्रदेश को संकट से उबार सके।
 
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपाराज में गरीब होना जुर्म हो गया है।सरकार के एक मंत्री जी को मजदूरों को चोर डकैत बताते शर्म नहीं आई। जो श्रमिक प्रदेश की सीमा में आ गए हैं उनकी विवशता पर रहम करें। उन्हें घर पहुंचाने के नाम पर अपमानित न करे।
 
उनके साथ मानवता दिखाते हुए राजधर्म का पालन करे। श्रमिक बुरी तरह चकरायें हुए हैं कि बसों की व्यवस्था कब, कहां और किसकी है। इस चक्कर में श्रमिकों की शामत आ गई है।
 
उन्होंने कहा कि मजबूर श्रमिकों की पिटाई बंद होनी चाहिए। जरूरत मंदों के हकों पर डाका डालने वाली भाजपा सरकार के कई काले किस्से सामने आ रहे हैं। क्या गरीबों के साथ पेश आने का यही संघी और भाजपाई तरीका है?