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Written By Author हिमा अग्रवाल
Last Updated : बुधवार, 15 सितम्बर 2021 (20:25 IST)

मैं 'उनको' ना अब्बाजान कहता हूं ना भाई जान, वे तो BJP के चाचू जान हैं...

मैं 'उनको' ना अब्बाजान कहता हूं ना भाई जान, वे तो BJP के चाचू जान हैं... - Farmer Leader Rakesh Tikait's BJPs Chacha Jaan' Barb At Asaduddin Owaisi
उत्तरप्रदेश में आगामी चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। राजनीतिक पार्टियों और नेताओं की जुबान तीखी होने लगी है। यूपी की इस जंग में अब अब्बा जान के बाद चाचू जान का जुमला चर्चा का विषय बना हुआ है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भाजपा के चाचू जान हैं। वह बाहर से आए हैं और बीजेपी के मेहमान हैं। वह भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में मदद करेंगे। ओवैसी आंध्रप्रदेश से आए हैं उत्तर प्रदेश में। यदि हमने सम्मान में उन्हें चाचू जान कह दिया तो क्या गलत कह दिया। यूपी में आए हैं तो भाजपा उनकी मेहमाननवाजी करेगी और ओवैसी बीजेपी को विधानसभा चुनाव जिताने आए हैं।
 
टिकैत ने कहा कि मैं न तो उनको अब्बा जान कहता हूं और न ही भाई जान। बस वह बीजेपी के चाचू जान हैं। गांव के लोग  ओवैसी को बीजेपी की B टीम कहते हैं। इस नाते वह चाचू जान हुए। यदि उनको A टीम कहा जाता तो वह ताऊ कहलाते,  लेकिन वह बीजेपी से छोटे हैं तो उनके चाचू हुए। टिकैत ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि कोई पढ़ा-लिखा पैंट-कोट वाला होता  तो उसे अंकल जी कहा जाता।
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज के बयान पर टिकैत बोले कि ये किसानों का आंदोलन है, इसे ग़दर नही कहा जा सकता, क्योंकि गदर में मारकाट होती है। हम तो यह जानते हैं कि गदर तो आजादी के लिए हुआ था। आंदोलनकारी किसानों ने कोई मार-काट नहीं की, बल्कि हरियाणा सरकार ने ही किसानों के लिए रास्ते बंद किए थे। तीन कृषि कानून समाप्ति तक किसानों का जो आंदोलन है ये चलता ही रहेगा, 2022 चुनाव में कोई सरकार हमारे भरोसे न रहे। 
 
राकेश टिकैत ने बागपत के टटीरी में भी ओवैसी-बीजेपी को एक टीम करार देते हुए कहा कि यूपी में चाचू जान ओवैसी  आ गए हैं, यदि वह (ओवैसी) बीजेपी को गाली भी देंगे तो केस नहीं होगा। यूपी में बीजेपी को ओवैसी नाम के चाचू जिताकर ले  जाएंगे। अब इन्हें कोई दिक्कत नहीं है।
 
बीजेपी की सरकार में किसानों का उत्पीड़न हो रहा है। भारत देश में सबसे  महंगी बिजली यूपी में मिल रही है, वहीं उनकी उपज का समर्थन मूल्य भी ठीक से नहीं मिल रहा। सरकार एमएसपी पर कानून  बनाने के लिए तैयार नहीं है। एमएसपी के नाम पर कई घोटाले भी सामने आ रहे हैं। इसमें सरकार के कुछ अधिकारियों के  नाम भी शामिल हैं। 
 
उन्होंने कहा कि 11 हजार फर्जी किसानों के नाम पर गेहूं और धान की खरीद की गई है। गन्ना बेल्ट को याद करते हुए बोले की  गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य कम से कम 650 रुपए प्रति क्विंटल होना चाहिए। 
 
टिकैत ने कहा कि हमारे यहां बड़े काश्तकार हैं कहां, छोटे किसान हैं जो 10 क्विंटल या 15 क्विंटल गेहूं-धान बेचता है। बड़े किसान कौन हैं, वह नहीं जानते। हां, बड़े व्यापारी  जरूर हैं, जो 20 हजार क्विंटल गेहूं और धान बेचते हैं। एमएसपी पर गांरटी कानून बनेगा नहीं, मंडियां खत्म हो जाएंगी, जिसके  चलते किसानों की फसल मनमानी कीमत पर खरीदी जाएगी।
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