बागियों पर डैमेज कंट्रोल के सभी नुस्खे बेकार
उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल के जिलों में बागियों के तेवर में कहीं कमी नहीं नजर आ रही है जिससे पार्टी प्रत्याशियों के हौसलों में कहीं न कहीं कमी नजर आ रही है।
इस विधानसभा चुनाव 2017 में पूर्वांचल के वाराणसी, आजमगढ़ व मिर्जापुर मंडलों के 10 जनपदों के 61 विधानसभा क्षेत्रों में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संसदीय सीट भी शामिल है, जहां बागियों ने पार्टी से बगावत कर चुनाव मैदान में ताल ठोंककर अपना झंडा बुलंद कर दिया है।
ये बागी वही हैं जिन्होंने पार्टी से टिकट की दावेदारी की थी किंतु पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया जिसके बाद से ये पार्टी के बागी होकर पार्टी को ही बर्बाद करने में लग गए और दल में ही दंगल मचा दिया है व कोई भी नुस्खा पार्टी के डैमेज कंट्रोल को रोक पाने में सफल नहीं हो पा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की 8 विधानसभा सीटों की अगर बात करें तो यहां पर 5 विधानसभा सीटों पर भाजपा को अपने ही बागियों से सामना करना पड़ रहा है वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन के बाद इन पार्टियों के भी बागी चुनाव मैदान में हैं, जबकि इसी जिले की कैंटोन्मेंट विधानसभा सीट पर सपा-कांग्रेस के गठबंधन के बाद भी दोनों पार्टियों के प्रत्याशी अपने पार्टी सिम्बल से चुनाव मैदान में डटे हैं। यहां गठबंधन का कोई असर नहीं है।
वाराणसी के आसपास की जनपदों में भी बागियों की हवा तेज है जिससे चुनावी समीकरण प्रभावित हो रहा है। विधानसभा चुनाव में पार्टियों के बागियों से उत्पन्न समस्याओं के लिए पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं व सहयोगी संगठनों को जिम्मेदारी दी गई है लेकिन उसका कोई खास असर दिख नहीं रहा है जिससे मतदाता भी भ्रमित नजर आ रहे हैं।
चुनाव के अंतिम समय तक क्या नजारा होता है, ये भी देखेंगे।