• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. तीज पर्व
  4. If you are going to observe Hartalika Teej fast for the first time, then you must know these things
Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 27 अगस्त 2024 (17:53 IST)

Hartalika Teej 2024: पहली बार करने जा रही हैं हरतालिका तीज व्रत, तो जान लें जरूरी बातें

Hartalika Teej
Hartalika Teej 2024 : भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज रहती है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और और कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने की कामना से यह व्रत रखती हैं। इस बार यह व्रत 06 सितंबर 2024 शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। यदि आप पहली बार यह व्रत रखने जा रही हैं तो 5 जरूरी बातों का जरूर ध्यान रखें।
 
1. जीवनभर रखना होता है यह व्रत : मान्यता है कि यदि कोई भी कुंवारी या विवाहित महिला एक बार इस व्रत को रखना प्रारंभ कर देती हैं तो उसे जीवनभर यह व्रत रखना ही होता है। बीमार होने पर दूसरी महिला या पति इस व्रत को रख सकता है। इसलिए व्रत रखने के पहले यह तय कर लें कि आप इसे पूरे जीवन में रख पाओगी या नहीं? क्योंकि इस व्रत को निर्जला रहकर करना होता है और यह बड़ा कठिन व्रत रहता है।ALSO READ: Hartalika teej Niyam: हरतालिका तीज व्रत के 10 खास नियम
 
2. निर्जला होता है व्रत : इस व्रत में किसी भी प्रकार से अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता है। अगले दिन सुबह पूजा के बाद जल पीकर व्रत खोलने का विधान है। आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें। ऐसी मान्यता भी है कि जिस भी तरह का भोजन या अन्य कोई पदार्थ ग्रहण कर लिया जाता है तो अन्न की प्रकृति के अनुसार उसका अगला जन्म उस योनि में ही होता है। लेकिन यह मान्यता एक जनश्रुति भर है।ALSO READ: Hartalika Teej 2024 Date: हरतालिका तीज 2024 मुहूर्त टाइम, व्रत, अनुष्‍ठान विधि
 
3. रात्रि जागरण : इस व्रत में महिलाओं को रातभर जागना होता है और जागकर मिट्टी के बनाए शिवलिंग की प्रहर अनुसार पूजा करना होती है। दिन के चार प्रहर और रात्रि के 4 प्रहर मिलाकर 8 प्रहर होते हैं। पूजा के अलावा महिलाएं रातभर जागकर भजन-कीर्तन भी करती हैं। हरतालिका तीज का पूजन प्रदोष काल में करना जरूरी है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहते हैं।
 
4. बालू और मिट्टी की मूर्ति : पूजा के लिए हाथों से बालू और मिट्टी से शिवलिंग, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की छोटी छोटी मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा करने का विधान है। शिवजी, माता पार्वती और गणेशजी प्रतिमा को अगले दिन सुबह विधिवत विसर्जित करने के बाद पारण ही किया जाता है। पूजा के दौरान सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को अर्पित करते हैं और शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है।ALSO READ: Hartalika teej: हरतालिका तीज व्रत का पौराणिक महत्व और कथा
 
5. कथा सुनना जरूरी : इस व्रत के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा को सुनना जरूरी होता है। मान्यता है कि कथा के बिना इस व्रत को अधूरा माना जाता है।