शुक्रवार, 7 नवंबर 2025
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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 25 अगस्त 2025 (17:27 IST)

Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज पर कैसे बनाएं फुलेरा, सुहाग पिटारी और मंडप, मां पार्वजी होंगी प्रसन्न

Hartalika teej vrat kaise kare
Hartalika teej vrat 2025 : भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष यह व्रत 26 अगस्त 2025 दिन मंगलवार को रखा जा रहा है। इस कठिन व्रत में पूजा सामग्री में कई प्रकार की वस्तुएं होती हैं। जैसे मिट्टी, 16 प्रकार की पत्तियां, फूल, 16 श्रृंगार का सामान, अक्षत, हल्दी, जल आदि कई तरह की सामग्री का प्रयोग करते हैं। इस सामग्री को फुलेरा, पिटारी में अलग-अलग रखकर उसे मंडप में रखते हैं। आओ जानते हैं कि यह क्या होता है। 
 
1. मंडप : इस दिन पूजा से पहले शिव और गौरी की पूजा के लिए मंडप सजाया जाता है। मंडप को केले के पत्ते और फूलों से सजाते हैं। मंडप के नीचे  बालू और मिट्टी के शिव, शिवलिंग, गणेश एवं पार्वती को बनाकर रखते हैं। मंडप बनाने के पहले लकड़ी का पाट या चौकी रखें फिर उसके आसपास मंडप बनाएं। चौकी या पाट के चारों पायों पर बांस की लकड़ी को बांधे। अब केले के पत्ते को चौकी के चारों पायों में बांध दें। साथ ही केलों के पत्तों से ही दोनों तरफ से कवर करके छत जैसा बनाएं। इसके बाद मंडप के ऊपर फुलेरा बांधें। फुलेरा बांधने के बांध चौकी के ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान शिव और माता पार्वती का मूर्ति स्थापित करके उसकी पूजा करें।
 
2. फुलेरा : फूल-पत्तियों, जड़ी-बूटियों और बांस से झुले जैसा दो फुलहरा बनाते हैं जो माता पार्वती और शिवजी को अर्पित किए जाते हैं। पहले में पत्तियां होती हैं- शिव, पार्वती और गणेशजी को बिल्वपत्र, जातीपत्र, सेवंतिका, बांस, देवदार पत्र, चंपा, कनेर, अगस्त्य, भृंगराज, धतूरा, आम पत्ते, नीम, अशोक पत्ते, पानपत्ते, केले के पत्ते और शमी पत्ते अर्पित किए जाते हैं। दूसरे में जड़ी बूटियां होती हैं- चिलबिनिया, नवकंचनी, नवबेलपत्र, सागौर के फूल, हनुमंत सिंदूरी, शिल भिटई, शिवताई, वनस्तोगी। हिमरितुली, लज्जाती, बिजिरिया, धतूरे का फूल, धतूरा, मदार, त्तिलपत्ती। बिंजोरी, निगरी, रांग पुष्प, देवअंतु, चरबेर, झानरपत्ती, मौसत पुष्प, सात प्रकार की समी।
 
प्राकृतिक फूल-पत्तियों और जड़ी-बूटियों का वर्णन किया गया है, उन्हीं चीजों का उपयोग करके फुलेरा बनाया जाता है। इस फुलेरा को बनाने में 4-5 घंटे का समय लग जाता है। फुलहरे की लंबाई 7 फुट होती है। यह प्राकृतिक फुलहरा तीजा पर बांधा जाता है। फुलहरे में कुछ विशेष प्रकार की पत्तियोंऔर फूलों का प्रयोग होता है।  
 
3. सुहाग पिटारा : पिटारा दो होते हैं। माता को सुहाग के 2 पिटारा अर्पित किए जाते हैं जिसमें बिंदी, चूड़ी, बिछिया, मेहंदी, आदि 16 श्रृंगार के सामान होते हैं। दूसरे में अन्य सामग्री होती है। पूजा की थाली में पंचामृत, मिठाई, फल, फूल, नारियल, कपूर, कुमकुम, सुपारी, सिंदूर, अबीर, चन्दन, लकड़ी की चौकी, पीतल का कलश, साथ ही कर्पूर, अगरु, केसर, कस्तूरी और कमल के जल, आम, गन्ने का रस आदि सामग्री होती है। माता पार्वती को खीर, शहद, हलवे, गुड़ और घी की चीजों का भोग लगाकर दान किया जाता है।