नई दिल्ली:भारत के ओलंपिक चैम्पियन नीरज चोपड़ा टोक्यो खेलों में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद पुरूष भाला फेंक विश्व रैंकिंग में 14 पायदान की छलांग लगाकर दूसरे स्थान पर पहुंच गये।
तेईस वर्षीय चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक से पहले रैंकिंग में 16वें स्थान पर थे जिसमें उनका औसत प्रदर्शन स्कोर 1224 अंक था। उन्होंने शनिवार को 87.58 मीटर दूर भाला फेंककर भारत को एथलेटिक्स का पहला पदक दिलाया था।
विश्व एथलेटिक्स द्वारा जारी ताजा रैंकिंग में नीरज के अब 1315 के औसत प्रदर्शन स्कोर से जर्मनी के योहानेस वेटर (1396) के बाद दूसरे स्थान पर हैं। स्वर्ण पदक के दावेदार के रूप में ओलंपिक में पहुंचे वेटर फाइनल में नौवें स्थान पर रहे थे।
चोपड़ा ने चार अगस्त को क्वालीफिकेशन राउंड में शीर्ष पर रहने से 1296 परफोरमेंस अंक हासिल किये और फाइनल में स्वर्ण पदक जीतने से उन्हें 1559 अंक मिले। रैंकिंग में इस साल की अन्य तीन प्रतियोगिताओं - फेडरेशन कप, इंडियन ग्रां प्री-3 और कुओरताने खेल (फिनलैंड) - के प्रदर्शन को भी इसमें शामिल किया गया जिसमें उन्होंने काफी अच्छे थ्रो किये थे।
ओलंपिक फाइनल में अंतिम आठ में जगह नहीं बनाने के बावजूद वेटर विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर कायम हैं क्योंकि वह इस साल टोक्यो खेलों से पहले सात बार 90 मीटर से ज्यादा दूरी पर भाला फेंक चुके थे।
पोलैंड के मार्सिन क्रुकोवस्की भी फाइनल में जगह नहीं बना सके थे जबकि 89.55 मीटर से सत्र का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन उनके नाम था। वह ताजा विश्व रैंकिंग में तीसरे स्थान पर हैं जिसमें उनका औसत प्रदर्शन स्कोर 1302 है।
टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले चेक गणराज्य के जाकुब वाडलेजिच 1298 के स्कोर से चौथे स्थान पर हैं।
ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप के अन्य प्रतियोगिताओं की तुलना में ज्यादा विश्व रैंकिंग अंक होते हैं।विश्व रैंकिंग सामान्य तौर पर किसी बड़ी प्रतियोगिता के खत्म होने के बाद बुधवार को जारी की जाती है।
ओलंपिक स्वर्ण पदक के बाद नीरज की निगाहें विश्व चैंपियनशिप के खिताब पर
राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेल 2018 में खिताब जीतने के बाद ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाले भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा का लक्ष्य अब अगले वर्ष अमेरिका में होने वाली विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है।
विश्व चैंपियनशिप अमेरिका के इयुगेन में इस वर्ष होनी थी लेकिन कोविड-19 के कारण टोक्यो ओलंपिक को एक साल के लिये स्थगित किये जाने के बाद इसे 2022 में आयोजित करने का फैसला किया गया। अब इसका आयोजन 15 से 24 जुलाई 2022 के बीच होगा।
चोपड़ा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, मैं एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेलों में पहले ही स्वर्ण पदक जीत चुका हूं और अब मेरे पास ओलंपिक का स्वर्ण पदक भी है। इसलिए मेरा अगला लक्ष्य अगले वर्ष विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है।
चोपड़ा ने टोक्यो में भाला फेंक के फाइनल में 87.58 मीटर भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीता था। यह भारत का ओलंपिक में एथलेटिक्स में पहला पदक है। वह ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने।
उन्होंने कहा, विश्व चैंपियनशिप बड़ी प्रतियोगिता है और कभी कभी यह ओलंपिक से भी कड़ी होती है। मैं इस ओलंपिक स्वर्ण पदक से ही संतुष्ट नहीं होने वाला हूं। मैं इससे भी बेहतर प्रदर्शन करना चाहूंगा तथा एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल और ओलंपिक में फिर से स्वर्ण पदक जीतना चाहूंगा।
इस 23 वर्षीय सुपरस्टार को इसके अलावा लगता है कि राष्ट्रीय खेलों में पांचवें स्थान पर रहने के बावजूद भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) का उन्हें राष्ट्रीय शिविर में शामिल करना उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट था।
राष्ट्रीय शिविर से जुड़ने से पहले चोपड़ा पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में अभ्यास कर रहे थे।
उन्होंने कहा, हम अच्छा अभ्यास कर रहे थे लेकिन सुविधाएं, उपकरण, आहार वहां (पंचकुला) अच्छे नहीं थे लेकिन एक बार जब मैं राष्ट्रीय शिविर (एनआईएस पटियाला) से जुड़ा तो सब कुछ बदल गया।
चोपड़ा ने कहा, मुझे बेहतर सुविधाएं, बेहतर आहार और बेहतर उपकरण राष्ट्रीय शिविर से जुड़ने के बाद ही मिले। सबसे महत्वपूर्ण यह अहसास था कि मैं देश के सर्वश्रेष्ठ भाला फेंक एथलीटों के साथ अभ्यास कर रहा था। यह अलग तरह का अहसास था।
उन्होंने कहा, इसलिए राष्ट्रीय शिविर से जुड़ने से मेरा करियर बदला और मैं इसके लिये एएफआई का आभार व्यक्त करता हूं। मैंने जो चाहा वह मुझे मिला। मैंने कड़ी मेहनत की जिसकी बदौलत आज मैं यहां हूं।
राष्ट्रीय शिविर में शामिल होने के बाद चोपड़ा पहले ऑस्ट्रेलिया के दिवंगत कोच गैरी कैल्वर्ट के साथ थे। उसके बाद, वह बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञ क्लॉस बार्टोनीट्ज की देखरेख में अभ्यास करने लगे। इस बीच चोपड़ा ने पूर्व विश्व रिकॉर्ड धारक उवे हॉन की देखरेख में अभ्यास किया था।
चोपड़ा ने कहा, मैं हॉन सर का सम्मान करता हूं, मैंने उनकी देखरेख में 2018 एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। लेकिन उनका तकनीकी दृष्टिकोण और प्रशिक्षण की शैली अलग थी। मैंने उनसे कहा कि मैं क्लॉस सर के साथ काम करना चाहता हूं।
उन्होंने कहा, उनकी (क्लॉस) प्रशिक्षण योजनाएं अच्छी थीं और मेरे अनुकूल थीं। वह एथलीट के शरीर के अनुसार प्रशिक्षण की योजना बनाते हैं, उन्होंने विभिन्न देशों में बहुत सारे एथलीटों के साथ भी काम किया है। (भाषा)