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Last Modified: शुक्रवार, 13 जुलाई 2018 (18:39 IST)

खेल विधेयक लाने में राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव : बिंद्रा

खेल विधेयक लाने में राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव : बिंद्रा - Abhinav Bindra
नई दिल्ली। ओलंपिक के एकमात्र व्यक्तिगत भारतीय स्वर्ण विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने मौजूदा व्यवस्था पर कड़ा प्रहार करते हुए शुक्रवार को कहा कि शुक्रवार को देश में खेल विधेयक की सख्त जरूरत है लेकिन इसे लाने में राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है।
 
 
बिंद्रा ने ओपीपीआई (स्वास्थ्य और उम्मीद) के वार्षिक सम्मेलन में अपने करियर की शुरुआत से लेकर मौजूदा खेल व्यवस्था पर बारीकी से नजर डालते हुए कहा कि हम हर ओलंपिक के समय इस बात का ही रोना रोते हैं कि हमें 1-2 पदक ही क्यों मिले, यह सिलसिला अगले 4 वर्ष तक फिर बना रहता है। 4 वर्ष बाद फिर वैसी ही स्थिति रहती है और हम इसी तरह शोर मचाते हैं जबकि हमें अपनी योजना में निरंतरता बनाए रखने की जरूरत है।
 
निशानेबाजी से संन्यास ले चुके और अब देश में युवा निशानेबाजों को तैयार कर रहे बिंद्रा ने कहा कि देश में खेल प्रशासन में बदलाव लाने की सख्त जरूरत है। खेल विधेयक आज के समय की जरूरत है लेकिन अफसोस इस बात का है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में खेल विधेयक नहीं लाया जा रहा है। जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे, तो हम हर 4 वर्ष बाद ओलंपिक के समय इसी बात का शोर मचाएंगे कि हमें ज्यादा पदक क्यों नहीं मिलते।
 
2008 के बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले बिंद्रा ने खेल परिदृश्य में सुधार लाने के लिए कहा कि योजना में निरंतरता लानी होगी, ग्रासरूट स्तर पर खेलों को बढ़ावा देना होगा और युवा प्रतिभाओं में निवेश करना होगा तभी जाकर हम भविष्य के लिए अच्छे खिलाड़ी सामने ला पाएंगे। जब तक आप एक नई पौध तैयार नहीं करेंगे, तो भविष्य के चैंपियन कैसे तैयार होंगे?
 
खुद 3 निशानेबाजी सेंटर चला रहे बिंद्रा ने कहा कि हमारा सर्वश्रेष्ठ सेंटर मोहाली है। फिलहाल मेरे 3 सेंटर हैं लेकिन मैं देश में और सेंटर खोलना चाहता हूं। भारत में खेलों को बढ़ावा देने और प्रतिभाओं को तराशने की जरूरत है। ओलंपिक में पदक जीतने और उससे दूर रह जाने में मात्र 1 प्रतिशत का फासला रहता है।
 
उन्होंने कहा कि आज पश्चिमी देश ओलंपिक पदक जीतने के लिए इसी 1 प्रतिशत पर मेहनत कर रहे हैं जिससे स्वर्ण और 15वें स्थान का फैसला होता है। हम इस मामले में अभी बहुत पीछे हैं। मेरी भी कोशिश है कि इस 1 प्रतिशत के फासले को कम किया जाए ताकि हमारे खिलाड़ी ओलंपिक में ज्यादा पदक जीत सकें।
 
बीजिंग ओलंपिक के अपने स्वर्ण पदक के सफर का जिक्र करते हुए बिंद्रा ने कहा कि बीजिंग के लिए मैंने काफी कड़ी तैयारी की है। एक इंसान के रूप में जो कुछ संभव हो सकता है, वह मैंने किया है इसलिए मुझे खुद पर काफी भरोसा था। तैयारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जहां मेरा इवेंट होना था, वह 10 हजार दर्शकों की क्षमता वाला था। (वार्ता)
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