महाभारत में श्रीमद्भागवत गीता के अलावा अनु गीता, हंस गीता, पराशर गीता, बोध्य गीता, विचरव्नु गीता, हारीत गीता, काम गीता, पिंगला गीता, वृत्र गीता, शंपाक गीता, उद्धव गीता, मंकि गीता, व्याध गीता जैसी अनेक गीताएं हैं। इसके अलावा गुरु गीता, अष्ट्रवक गीता, गणेश गीता, अवधूत गीता, गर्भ गीता, परमहंस गीता, कर्म गीता, कपिल गीता, भिक्षु गीता, शंकर गीता, यम गीता, ऐल गीता, गोपीगीता, शिव गीता और प्रणव गीता आदि गीताएं हैं। आओ जानते है हंस गीता के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
1. भगवान श्रीकृष्ण की चार गीताएं प्रसिद्ध हैं- श्रीमद्भभागवत गीता, अनु गीता, उद्धव गीता और उद्धव गीता के अंतर्गत ही हंस गीता।
2. उद्धव भगवान का अनन्य भक्त और सखा है। वह उनका सौतेले भाई भी है। उद्धव गीता में भगवान उद्धव को आत्मज्ञान की शिक्षा देते हैं।
3. उद्धव गीता के अंतर्गत ही हंस गीता है। यह श्रीमद्भागवत पुराण के 11वें स्कंथ का 13वां अध्याय है।
4. हंसगीता दो है- पहली में उद्धवजी का श्रीकृष्ण से संवाद है और दूसरी में हंसरूपी विष्णु का साध्यगणों से संवाद है। हंस गीता का प्रारंभ युधिष्ठिर और भीष्म पितामह के संवाद से होता है जिसमें भीष्म पितामह साध्यगणों का हंस से जो संवाद हुआ उसका वर्णन करते हैं।
5. भगवान ने ब्रह्मा के प्रथम मानस पुत्र चार सनतकुमारों को यह गीता सुनाई। इसमें ब्रह्मा से सनकादियों ऋषियों ने सृष्टि के संबंध में प्रश्न किया जिसके उत्तर दिए गए हैं।
श्रीमद्भागवत पुराण/महाभारत