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Last Modified: मंगलवार, 4 जुलाई 2023 (13:03 IST)

Sawan Shiv mandir : निष्कलंक महादेव की दिलचस्प कहानी, दर्शन मात्र से हो जाते हैं पाप दूर

Sawan Shiv mandir : निष्कलंक महादेव की दिलचस्प कहानी, दर्शन मात्र से हो जाते हैं पाप दूर - Nishkalank mahadev temple bhavnagar gujarat
Shravan month 2023 : गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से 3 किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्थित है निष्कलंक महादेव का प्राचीन मंदिर। इस मंदिर की कहानी बहुत ही अजीब है। यहां के चमत्कारों के बारे में सभी लोग जानते हैं। इस मंदिर तक जाना भी थोड़ा मुश्‍किल है। सावन श्रावण मास में यहां के दर्शन करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
 
निष्कलंक महादेव मंदिर की खासियत:-
  • प्रतिदिन अरब सागर की लहरें यहां के शिवलिंग का जलाभिषेक करती है। 
  • ज्वारभाटा जब शांत हो जाता है तब लोग पैदल चलकर इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। 
  • ज्वार के समय सिर्फ मंदिर का ध्वज ही नजर आता है।
  • प्रत्येक अमावस के दिन इस मंदिर में भक्तों की विशेष भीड़ रहती है।
  • पांडवों ने यहां अपने पापों से मुक्ति पाई थी इसीलिए इसे निष्‍कलंक महादेव मंदिर कहते हैं।
  • मान्यता है कि यदि किसी परिजन की चिता कि राख शिवलिंग पर लगाकार जल में प्रवाहित कर दें तो उसको मोक्ष मिलता है। 
  • मंदिर में भगवान शिव को राख, दूध, दही और नारियल चढ़ाए जाते हैं।
  • भादवे महीने की अमावस को यहां पर मेला भरता है जिसे भाद्रवीकहा जाता है।
  • मेला भावनगर के महाराजा के वंशजों के द्वारा मंदिर की पताका फहराने से शुरू होता है।
  • यही पताका मंदिर पर अगले एक साल तक लहराती रहती है।
  • मान्यता है कि कभी भी इस पताका को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। 
  • यहां तक की 2001 के विनाशकारी भूकंप में भी नहीं जब यहां 50,000 लोग मारे गए थे।
निष्कलंक महादेव मंदिर की कहानी:-
  • कहते हैं कि यह मंदिर महाभारतकालीन है और जब युद्ध के बाद पांडवों को अपने ही कुल के लोगों को मारने का पछतावा था और वे इस पाप से छुटकारा पाना चाहते थे तब वे श्रीकृष्ण के पास गए। श्रीकृष्ण द्वारिका में रहते थे। श्रीकृष्ण ने उन्हें एक काली गाय और एक काला झंडा दिया और कहा कि तुम यह झंडा लेकर गाय के पीछे-पीछे चलना। 
  • जब झंडा और गाय दोनों सफेद हो जाए तो समझना की पाप से छुटकारा मिल गया। जहां यह चमत्कार हो वहीं पर शिव की तपस्या करना। 
  • कई दिनों तक चलने के बाद पांडव इस समुद्र के पास पहुंचे और झंडा और गाय दोनों सफेद हो गया। 
  • तब उन्होंने वहां तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया। 
  • पांचों पांडवों को शिवजी ने शिवलिंग रूप में अलग अलग दर्शन दिए। 
  • वही पांचों शिवलिंग आज तक यहां विद्यमान हैं। 
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