In what form do ancestors come home during Pitru Paksha: इस साल श्राद्ध पक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा। यह वह समय है जब हम अपने दिवंगत पूर्वजों (पितृ) को याद करते हैं और उनका श्राद्ध करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन 16 दिनों के दौरान हमारे पितृ विभिन्न रूपों में धरती पर अपने वंशजों से मिलने आते हैं। इसलिए इन दिनों में कुछ विशेष पशु-पक्षियों का सम्मान करना और उनका भोजन कराना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं कि पितृ किन-किन रूपों में हमारे घर आते हैं और हमें उनका सम्मान क्यों करना चाहिए।
1. कौए
कौए को पितरों का दूत माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में पितृ कौए के रूप में धरती पर आते हैं और अपने परिवार के सदस्यों द्वारा दिया गया भोजन ग्रहण करते हैं। यही कारण है कि पिंडदान और श्राद्ध का भोजन सबसे पहले कौओं को खिलाया जाता है। अगर कौआ भोजन ग्रहण कर ले, तो यह माना जाता है कि पितृ तृप्त हो गए हैं।
2. चींटियां
चींटियों को पितरों का सूक्ष्म रूप माना जाता है। श्राद्ध के दौरान, भोजन का एक हिस्सा चींटियों को भी खिलाया जाता है। आटे की गोलियां या अन्य खाद्य पदार्थ चींटियों के लिए बनाए जाते हैं, ताकि पितरों की आत्माएं शांत हो सकें। यह माना जाता है कि चींटियों को भोजन कराने से पितरों को मोक्ष मिलता है।
3. गाय
भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और इसे सभी देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। श्राद्ध पक्ष में गाय को भोजन कराना बेहद शुभ माना जाता है। पितरों के लिए निकाला गया पहला भोजन गाय को ही दिया जाता है। यह माना जाता है कि गाय को खिलाने से पितृ सीधे तौर पर भोजन ग्रहण करते हैं और प्रसन्न होते हैं।
4. कुत्ता
कुत्ते को यमराज का दूत माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, पितृ कुत्ते के रूप में भी आ सकते हैं, खासकर यदि उन्होंने अपने जीवन में किसी कुत्ते को परेशान किया हो। इसलिए श्राद्ध पक्ष में कुत्तों को भी भोजन कराना महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एक तरह से पितरों को शांत करने का तरीका है।
5. साधु, संत, या भिक्षुक
यह माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में पितृ किसी साधु, संत या भिक्षुक के रूप में भी आपके घर आ सकते हैं। ये सभी समाज के वे वर्ग हैं जिन्हें अक्सर भोजन और सम्मान की आवश्यकता होती है। इसलिए इन दिनों किसी भी भिक्षुक या संत का अपमान नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें भोजन और दक्षिणा देकर सम्मानपूर्वक विदा करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ आशीर्वाद देते हैं।
क्यों आते हैं पितर?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पितृ श्राद्ध पक्ष में अपने वंशजों से मिलने इसलिए आते हैं, ताकि वे यह देख सकें कि उनके परिवार में सब ठीक है। वे अपने परिवार की खुशहाली के लिए आशीर्वाद देने आते हैं। श्राद्ध और पिंडदान के माध्यम से वंशज अपने पूर्वजों के प्रति अपना सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है। पितरों को इन दिनों में निराश नहीं करना चाहिए, बल्कि श्रद्धापूर्वक उनका श्राद्ध करना चाहिए।
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