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महाशिवरात्रि पूजा : 4 प्रहर की 4 प्रकार की पूजा विधि और 4 मंत्र याद कर लीजिए

महाशिवरात्रि  पूजा : 4 प्रहर की 4 प्रकार की पूजा विधि और 4 मंत्र याद कर लीजिए - mahashivratri 2022
महाशिवरात्रि : 4 प्रहर के 4 मंत्र 
इस वर्ष महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022  पर भक्त दिनभर भगवान की पूजा-अर्चना कर सकेंगे। भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होंगी। इस बार महाशिवरात्रि के दिन मंगलवार है...भक्तों के लिए विशेष फलदायी योग बन रहे हैं।
 
शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन प्रात:काल उठकर स्नान व नित्यकर्म से निवृत्त होकर भस्म का त्रिपुंड तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण कर शिवालय में जाएं और शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करें। महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प करें और साथ ही इस दिन 4 प्रहर के 4 मंत्र का जाप करके महाशिवरात्रि व्रत का विशेष लाभ उठाएं।
 
भगवान शिव के भोलेपन के बारे में सभी को पता है इसलिए भक्त इन्हें 'भोला' भी कहते हैं। मान्यता है कि शिवजी को प्रसन्न करने के लिए आपको बहुत सारी चीजों की जरूरत नहीं होती, बल्कि सच्चे मन और भाव से दिया गया एक फूल भी भगवान आशुतोष को प्रसन्न कर सकता है।
शुभ मुहूर्त : 1 मार्च 2022
- अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 तक।
- विजय मुहूर्त : दोपहर 02:07 से दोपहर 02:53 तक।
- गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:48 से 06:12 तक।
- सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:00 से 07:14 तक।
- निशिता या निशीथ मुहूर्त : रात्रि 11:45 से 12:35 तक।
विधिवत शिवलिंग पूजन के लिए स्वच्छ जल, गंगा जल से स्नान कराने के बाद देशी घी, दूध, दही, शहद, शकर, भस्म, भांग, गन्ने का रस, गुलाब जल, दूध व चंदन चढ़ाकर शिवलिंग पर लेप करना चाहिए। उसके बाद जनेऊ, कलावा, पुष्प, गुलाब की माला, धतूरा, भांग, जौ, केसर, चंदन, धुप, दीप, कलाकंद मिठाई (दूध की बर्फी) स्वेच्छानुसार चढ़ाने के बाद बेलपत्र (राम-राम लिखे हुए चंदन से) चढ़ाएं।
 
महाशिवरात्रि पर शिव अराधना से प्रत्येक क्षेत्र में विजय, रोग मुक्ति, अकाल मृत्यु से मुक्ति, गृहस्थ जीवन सुखमय, धन की प्राप्ति, विवाह बाधा निवारण, संतान सुख, शत्रु नाश, मोक्ष प्राप्ति और सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। महाशिवरात्रि कालसर्प दोष, पितृदोष शांति का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। जिन व्यक्तियों को कालसर्प दोष है, उन्हें इस दोष की शांति इस दिन करनी चाहिए।

 4 प्रहर के 4 मंत्र-
 
महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में संकल्प करके शिवलिंग को दूध से स्नान करवाकर 'ॐ हीं ईशानाय नम:' का जाप करना चाहिए।
 
द्वितीय प्रहर में शिवलिंग को दधि (दही) से स्नान करवाकर 'ॐ हीं अधोराय नम:' का जाप करें।
 
तृतीय प्रहर में शिवलिंग को घृत से स्नान करवाकर 'ॐ हीं वामदेवाय नम:' का जाप करें।
 
चतुर्थ प्रहर में शिवलिंग को मधु (शहद) से स्नान करवाकर 'ॐ हीं सद्योजाताय नम:' मंत्र का जाप करना करें।

किस तरह से करें पूजा एवं मंत्र जाप-
 
मंत्र जाप में शुद्ध शब्दों के बोलने का विशेष ध्यान रखें कि जिन अक्षरों से शब्द बनते हैं, उनके उच्चारण स्थान 5 हैं, जो पंच तत्व से संबंधित हैं।
 
1- होंठ पृथ्वी तत्व
2- जीभ जल तत्व
3- दांत अग्नि तत्व
4- तालू वायु तत्व
5- कंठ आकाश तत्व
 
मंत्र जाप से पंच तत्वों से बना यह शरीर प्रभावित होता है। शरीर का प्रधान अंग सिर है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार सिर में 2 शक्तियां कार्य करती हैं- पहली विचार शक्ति व दूसरी कार्य शक्ति। इन दोनों का मूल स्थान मस्तिष्क है। इसे मस्तुलिंग भी कहते हैं। मस्तुलिंग का स्थान चोटी के नीचे गोखुर के बराबर होता है। यह गोखुर वाला मस्तिष्क का भाग जितना गर्म रहेगा, उतनी ही कर्मेन्द्रियों की शक्ति बढ़ती है। मस्तिष्क के तालू के ऊपर का भाग ठंडक चाहता है। यह भाग जितना ठंडा होगा उतनी ही ज्ञानेन्द्रिय सामर्थ्यवान होगी।

 
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