महाराष्ट्र के अहमदनगर के आसपास के कुछ हिस्सा प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में एक अश्मक के हिस्से थे। कहते हैं कि संपूर्ण महाराष्ट्र सम्राट अशोक के शासन के अधिन था। 230 से 225 ईस्वी तक यहां सातवाहन शासकों का शासन रहा। इसके बाद वाकाटक का शासन रहा।
इसके बाद कलचुरी वंश ने शासन किया और फिर चालुक्य वंश ने। इसके बाद तटवर्ती इलाकों में शिलाहारों ने शासन किया और बाद में राष्ट्रकूट तथा यादव वंशियों के अधिन रहा यह क्षेत्र। इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी के काल में यहां के लोगों के बुरे दिन प्रारंभ हुए। खिलजी का शासन दक्षिण में मदुरै तक फैला था।
उसके बाद मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर अहमदनगर के पास दौलताबाद कर ली थी। यह स्थान पहले देवगिरि नाम से प्रसिद्ध था। इसके बाद बहमनी शासकों ने राज किया। बहमनी सल्तनत के टूटने पर यह प्रदेश गोलकुण्डा के शासन में आया और उसके बाद औरंगजेब का संक्षिप्त शासन रहा।
इसके बाद शिवाजी की प्रचंड शाक्ति ने मुगलों को भारत के इस भाग में आगे नहीं बढ़ने दिया। मराठों की शक्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई और मराठा पूरे महाराष्ट्र में फैल गए और उनका साम्राज्य दक्षिण में कर्नाटक के दक्षिणी सिरे तक हो गया था। उनके बाद महाराष्ट्र पेशवा राजवंश के अधीन हो गया। पेशवाओं ने दक्षिण के पठार से लेकर पंजाब पर हमला बोल कर मराठाओं का आधिपत्य स्थापित किया।
इसके बाद अंग्रेजों ने पेशवाओं का अंग्रेजों से भयंकर युद्ध हुआ। कई युद्ध के बाद आखिरकार पेशवाओं को धोका खाना पड़ा और अंत में यह प्रदेश भी ब्रिटिश साम्राज्य के अधिन हो गया। अंग्रेजों ने मुंबई को अपनी राजधानी बनाया।
स्वतंत्रता के बाद जब मुंबई राज्य से महाराष्ट्र और गुजरात के गठन का प्रस्ताव आया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुंबई को अलग केन्द्रशासित प्रदेश बनाने का प्रयास किया लेकिन इससे महाराष्ट्र में विद्रोह भड़क उठा। मुंबई को महाराष्ट्र में रखने के लिए आंदोलन चला जिसमें कई लोगों की जान चली गई। आखिरकार मुंबई महाराष्ट्र का हिस्सा बना।
अंत में सभी मराठी भाषी स्थानों का एकत्रीकरण करके एक राज्य बनाने को लेकर बड़ा आंदोलन चला और 1 मई, 1960 में बंबई पुनर्गठन अधिनियम के तहत् कोंकण, मराठवाडा, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र (खानदेश) तथा विदर्भ, सभी संभागों को जोड़कर एक नए राज्य महाराष्ट्र राज्य की स्थापना हुई।
प्राचीन उल्लेख : रामायण काल में भगवान राम गोदावरी तट पर बसे नासिक में पंचवटी में रुके थे। यहीं से लंका के राजा रावण ने माता सीता का हरण किया था। वाल्मीकि रामायण के अलावा रघुवंश में भी इसका उल्लेख मिलता है। महाभारत काल में विदर्भ, कोंकण और अश्मक जनपद का उल्लेख मिलता है जो अब संपूर्ण महाराष्ट्र का हिस्सा हैं।
विश्वप्रसिद्ध अजंता और एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप स्थित हैं। ये गुफाएं कई हजार वर्ष पुरानी हैं, लेकिन बौद्ध गुफाएं होने के कारण इनको 2 सदी ईसा पूर्व से 7 शताब्दी ईसा तक का माना जाता रहा है, लेकिन अब नए शोध ने यह धारणा बदल दी है। मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित एक स्थल है, जो एलीफेंटा नाम से विश्वविख्यात है। मुंबई में कई गुफाएं हैं। उनमें से एलीफेंटा, महाकाली और कन्हेरी की गुफाएं प्रसिद्ध हैं।