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Written By WD

मि. हसबैंड के रोमांटिक मूड

मि. हसबैंड के रोमांटिक मूड -
लक्ष्मी रानी लाल

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आज की व्यस्त जीवन शैली में पति-पत्नी दोनों का सुबह की भागदौड़ में दफ्तर जाना और थक-हारकर रात तक घर पहुँचना। काम की अधिकता इतनी कि लौटकर खाना बनाने की भी इच्छा नहीं होती। कभी बेमन से बना लिया तो कभी फोन करके मँगा लिया। जल्दी सोकर सवेरे जल्दी उठने की इच्छा होती है जो संभव नहीं। हर वर्किंग कपल की आपाधापी के इस माहौर में इन्हें रोमांस की फुर्सत कहाँ?

ऐसे में ये लोग अपने शादीशुदा जीवन में रोमांस को कैसे बचाए रखते हैं या इनका जीवन नीरस और बदरंग हो जाता है? मैंने अपनी जिज्ञासा शुभांगी के सामने रखी जो एक कॉल सेंटर में कार्यरत है तथा उनके हसबैंड शुभेन्दु भी एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर हैं।

शुभांगी बताती हैं कि मुझे थोड़ी खीझ होती है, कि जब मैं सुबह घर लौटती हूँ उस समय शुभेंदु को दफ्‍तर जाने की जल्दी रहती है। उन्हें दफ्तर भेज कर ही सो पाती हूँ, जब शुभेंदु के घर लौटने का वक्त होता, उस समय मैं कॉल सेंटर जाने की तैयारी में होती हूँ। तब रोमांस का क्या? उन्होंने हँसते हुए कहा 'रोमांस! हम जितने वक्त भी पास रहते हैं, हमारे बीच प्रेम की भावना प्रबल हो उठती है। कम समय का पूरा लाभ उठाते हैं, हम! फिर छुट्‍टियों में खूब घूमना फिरना। सारी कसर पूरी कर लेते हैं।'

आज महिलाएँ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं। एकल परिवार होने से उन्हें पति के साथ घूमने-फिरने की स्वतंत्रता है। रोमांस के लिए भी वे अपनी इच्छानुसार वक्त निकाल ही लेती हैं। पति के लिए रोमांटिक मूड को वह यूँ ही घरेलू समस्याओं में उलझाकर व्यर्थ खराब नहीं करतीं।

मीनू शरण एक कुशल गृहिणी हैं। उनके पति आनंद बिहारी शरण नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) में एजीएम हैं। उनके कोलकाता स्थानांतरण हो जाने से गृहस्थी की सारी जिम्मेदारियाँ मीनू के सुदृढ़ कंधों पर है। चूँकि उनकी बेटी जमशेदपुर कॉन्वेंट में पढ़ रही है इसलिए अभी उनका कोलकाता में पति के साथ रहना संभव नहीं है। मैंने यूँ ही छेड़ दिया - 'दो जगहों पर रहने से दांपत्य पर प्रभाव नहीं पड़ता। उतनी दूर रहकर उनका रोमांटिक मूड क्या बरकरार रह पाता है?'

वह फूटते हुए झरनों सी खिलखिला उठी - 'जगह की दूरी मन के रोमांस पर कभी हावी नहीं होती, वह तो प्रेम की तपिश को और भी बढ़ाती है... तभी तो दस-पंद्रह दिनों के अंतराल पर मिलने चले आते हैं।' कुछ गंभीर होकर उन्होंने कहा - 'पति-पत्नी में आपसी तालमेल और सामंजस्य हो तो रोमांस कभी घटता नहीं। मैं उन्हें घर की समस्याओं में कभी नहीं उलझाती। परस्पर भावनात्मक लगाव रहने के कारण हमारा दिलकश दांपत्य जीवन है।'

अंजू तथा उनके पति ओमप्रकाश मिश्रा सूरत में 'एस्सार' कंपनी में अलग-अलग विभागों में कार्यरत हैं। अंजू कहती हैं - 'वैसे तो मेरे पति बेहद रोमांटिक हैं पर समयाभाव के कारण रोमांस करने के मौके बेहद कम मिलते हैं। मैं शाम को ही घर आती हूँ, फिर बच्चों की पढ़ाई़, किचन का काम। हाँ, खाना एक साथ ही खाते हैं।

फिर ये दफ्तर के कामकाज में लग जाते हैं और मैं सुबह की तैयारी में। प्यार के लिए वक्त ही कहाँ मिलता है पर ये रोमांस करने का कोई मौका नहीं चूकते। छेड़छाड़, चुहलबाजी चलती ही रहती है। रोमांटिक मूड की वजह से ही मुझे ऊर्जा मिलती है। हम दोनों यह प्रयास करते हैं कि साथ रहने का जो भी समय मिले लड़ाई झगड़े से बचा रहे।'

  आपके प्रेम की तपिश उन्हें छू ले यह सुखद अहसास उन्हें आपके और भी करीब लाएगा। सुखद यादों में डूबकर वर्तमान को भी मधुर बनाया जा सकता है। हमारी चाहत शब्दों में ढलकर अगर उस तक पहुँचती है तो रिश्तों में माधुर्य बढ़ जाता है।      
डॉ. अशोक कुमार जमशेदपुर में 'साँई नर्सिंग होम' चलाते हैं। उनकी पत्नी साधना एक कुशल गृहिणी हैं। साधना बताती हैं 'उम्र बढ़ने के साथ ही रोमांस कम हो ही जाता है। वैसे मेरे पति बेहद संवेदनशील हैं, रोमांटिक भी हैं।

दिनभर फोन पर संपर्क रखते हैं... मेरा बेहद ख्याल रखते हैं, मेरे खाने-पीने की चिंता उन्हें रहती है। अपने प्यार के इज़हार के लिए वे फूलों का सहारा लेते हैं... हमारे रोमांस में परिपक्तवता आ गई है।'

प्रेम की भावना पति-पत्नी के रिश्ते को बाँधे रखने का काम करती है। रिश्ते में प्रेम न हो, पति रोमांटिक मूड में न हो तो वह रिश्ता ही कैसा?

आपके प्रेम की तपिश उन्हें छू ले यह सुखद अहसास उन्हें आपके और भी करीब लाएगा। सुखद यादों में डूबकर वर्तमान को भी मधुर बनाया जा सकता है। हमारी चाहत शब्दों में ढलकर अगर उस तक पहुँचती है तो रिश्तों में माधुर्य बढ़ जाता है। पति रोमांटिक मूड में हो तो मन की बगिया में खुशबू भर जाती है।

साभार : गृह सहेली