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Written By स्मृति आदित्य

प्यार, एक मीठा दरिया

स्मृति जोशी
ND
प्यार वह सलोना अहसास है, जो संसार के समस्त रिश्तों से ऊँचा और अनूठा है। यह सुमधुर रिश्ता एक खूबसूरत रहस्य है, जिसे आज तक कोई जान नहीं सका। दो पवित्र और शुद्ध आत्माओं का मिलन है प्यार। एक आकर्षक अनूभूति, जिसे सोचते ही चिंता और तनाव के समस्त तटबंध टूट जाते हैं। सांसारिक जंजीरें खुल जाती है।

प्यार अनंत आकाश है, जिसमें अनुराग का सौम्य चंद्रमा मुस्कुराता है। उष्मा का तेजस्वी सूर्य जगमगाता है और उन्मुक्त हास्य के नटखट सितारें झिलमिलाते हैं। प्यार एक पुस्तक है बेशकीमती। बड़े आहिस्ता से खोलिए इसे। इसमें अंकित हर अक्षर- मोती, हीरा, पन्ना, नीलम, माणिक, मूँगा और पुखराज की तरह हैं बहुमूल्य और तकदीर बदलने वाले।

प्यार बहुत सुकोमल और गुलाबी रिश्ता है छुई-मुई की नाजुक पंक्तियों की तरह। अँगुली उठाने पर कुम्हला जाता हैं यह रिश्ता। इसलिए प्यार करने से पहले अंतर्मन की चेतावनी व परामर्श सुनना, समझना और स्वीकार करना नितांत जरूरी है। सुदीर्घ और अटूट प्यार के लिए उसकी बुनियाद में कुछ विशिष्‍ट भावों का होना आवश्यक है।
  प्यार वह सलोना अहसास है, जो संसार के समस्त रिश्तों से ऊँचा और अनूठा है। यह सुमधुर रिश्ता एक खूबसूरत रहस्य है, जिसे आज तक कोई जान नहीं सका। दो पवित्र और शुद्ध आत्माओं का मिलन है प्यार।      


सच्चाई, ईमानदारी, परस्पर समझदारी, अमिट विश्वास, पारदर्शिता, समर्पण भावना और एक-दूजे के प्रति सम्मान जैसे श्रेष्‍ठ ‍तत्व प्यार की पहली जरूरत है।

प्यार करने वाले पहलें जान लें कि क्या हमारा प्रेमी/प्रेमिका वह विश्वसनीय शख्स है, जिसके समक्ष अपने अंतरमन की अंतिम परत भी कुरेद कर रख दें। सच्चा प्यार वही होता है जो आपके विकसित होने में सहायता करता है। जिसका निश्चल प्रेम आपको पोषित करता है और जिसके साथ आप अपनी ऊर्जा व निजता बाँटते हैं।

प्यार की नन्हीं नवविकसित कोंपल को कुछ कँटीलें तत्वों जैसे - ईर्ष्या, द्वेष, अपमान, उपहास और मानसिक संकीर्णता से बचाना बेहद जरूरी है। तमाम उम्र इंसान को सच्चे प्यार की तलाश रहती है। इस तलाश में भटकते हुए ही उसे यह अनुभव होता है कि प्यार का एक रंग नहीं होता।

कई-कई रंगों से सजा प्यार कदम-कदम पर अपना रूप दिखाता है। प्यार में पीड़ा तब सघन हो जाती है जब उसे श‍क की दीमक लग जाती है। यह दीमक प्यार को खोखला कर देती है। जब तक व्यक्ति समझे-संभले प्यार का राजमहल चरमराकर ढह जाता है।
'दोस्तों शक दोस्ती का दुश्मन है
अपने दिल में इसे घर बनाने न दो
कल तड़पना पड़े याद में जिनकी
रोक लो, रूठ कर उनको जाने न दो'

वॉशिंगटन अर्विंग ने कहा ह
-'प्यार कभी व्यर्थ नहीं जाता
यदि उसे प्रतिदान नहीं मिलता है
तो वह लौट आता है और
ह्रदय को मृदु एवं पावन बनाता है।'

सच्चा प्यार वही है, जिसके साथ होकर हम अपने आपको सर्वाधिक जान सके। जो हमारे निराश क्षणों में आशा का दीप जला दें। जो हमारे कमजोर पलों में उत्साह का मजबूत सहारा बन सकें। जिसकी प्रसन्नता हमारे सृजन की प्रेरणा बन सकें।

अगर चाहते हैं प्यार की सौंधी सुगंध हमें आजीवन महकाती रहे तो उसका महत्व भी आज ही समझना होगा।

अंत में एक कविता प्यार के नाम-
- प्यार
खुशी का वह दरिया हैं,
जो आमंत्रित करता है हमें,
- आओ, खूब नहाओं,
हँसी-खुशी की,
मौज-मस्ती की
शंख-सीपियाँ,
जेबों में भरकर ले जाओ।
आओ,
मुझमें डूबकी लगाओ
गो‍ता लगाओ
खूब नहाओ
प्यार का मीठा पानी
हाथों में भरकर ले जाओ।