जब चांदनी मेरी छत पे पिघले,
पूनम का चांद मचलता हो,
जब बरखा रानी बिजुरी को छेड़े,
मन बेचैनी में बतियाता हो।
जब बूंदों की ताल से मिलकर,
शाखों का सावन गाता हो।
जब पांव महावर में रंगकर,
प्रीत के फूल खिलाता हो।
तब घूंघट पट से नयन झांकती,
मुझसे मिलने आ जाना तुम।
दो लाजभरे सुरमयी नैनों संग,
मुझसे कुछ बतिया जाना तुम।
जब चंचल नैनों की अनुरक्ति में,
कजरा चहका-चहका हो।
जब इन गजब घनेरी जुल्फों में,
रजनीगंधा महका-महका हो।
जब तेरी झांझर की रुन-झुन में,
मौजों की ता-ता थैया हो।
जब दिल की डगमग नैया में,
सागर की हैया-हैया हो।
तब घूंघट पट से नयन झांकती,
मुझसे मिलने आ जाना तुम।
दो लाजभरे सुरमयी नैनों संग,
मुझसे कुछ बतिया जाना तुम।
जब तेरे दिल की धड़कन भी,
धक-धक-धक धड़की हो,
जब मन के सूनेपन की ज्वाला
प्रेम-अगन में भड़की हो।
जब बरस बदरिया सावन की,
झम-झमाझम बरसी हो।
जब तुम जोगन-सी बन दीवानी,
पिया मिलन को तरसी हो।
तब घूंघट पट से नयन झांकती,
मुझसे मिलने आ जाना तुम।
दो लाजभरे सुरमयी नैनों संग,
मुझसे कुछ बतिया जाना तुम।