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Written By भाषा

नेता 2010 : कभी अर्श पर कभी फर्श पर

नेता 2010 : कभी अर्श पर कभी फर्श पर -
नेताओं और विवादों का चोली दामन का साथ है। इस बरस भी राजनीति के आसमान में उड़ते कई नाम धूल में मिलते नजर आए। उन पर लगे आरोपों का सच तो जाँच के बाद ही सामने आएगा, लेकिन फिलहाल तो दामन दागदार है। किसी विवाद में फंसकर इस्तीफा देने वाले नेताओं की सूची लंबी है। इस श्रृंखला की नवीनतम कड़ी में टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले को लेकर लंबे समय से लगातार विपक्ष के निशाने पर रहे ए.राजा को 14 नवंबर को केंद्रीय दूरसंचार मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

राजा लगातार अपने इस्तीफे से इनकार करते रहे लेकिन विपक्ष के बढ़ते दबाव के चलते उन्हें पद छोड़ना पड़ा। विपक्ष कैग के इस संकेत के बाद राजा की इस्तीफे की माँग कर रहा था कि टू जी स्पेक्ट्रम का आवंटन पारदर्शी तरीके से नहीं किया गया जिसके कारण सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान हुआ।

महाराष्ट्र में आदर्श सोसायटी घोटाले में कथित संलिप्तता के आरोपों के चलते अशोक चव्हाण को नौ नवंबर को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। मुंबई आतंकी हमले के सिलसिले में विलासराव देशमुख के मजबूरन इस्तीफे के बाद दिसंबर 2008 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने चव्हाण का कार्यकाल 23 माह रहा। चव्हाण पर आरोप है कि उन्होंने 10 वर्ष पूर्व कांग्रेस-राकपा संगठन की सरकार के समय राजस्व मंत्री के रूप में रक्षा विभाग के वरिष्ठ सदस्यों और शहीदों की विधवाओं के लिए आवंटित सोसायटी में अन्य लोगों को आवास आवंटन में भूमिका निभाई।

आरोप है कि इस सोसायटी में चव्हाण की सास और अन्य करीबी रिश्तेदारों को भी फायदा पहुँचाया गया। चव्हाण पर यह भी आरोप लगा कि उन्होंने वर्ष 1999 से 2001 के बीच बतौर राजस्व मंत्री नियमों का उल्लंघन कर पुणे की जमीन अपने करीबी बिल्डर जयंत शाह को दिलवाई। नौ नवंबर को उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

राष्ट्रमंडल खेल परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते नौ नवंबर को खुद को आयोजन समिति के अध्यक्ष से अलग रखने की कोशिश में कांग्रेस ने सुरेश कलमाड़ी को पार्टी के संसदीय दल सचिव पद से हटा दिया।

विदेश राज्य मंत्री के पद पर रहते हुए ट्विटर पर चटरपटर शशि थरूर को भारी पड़ी। बार बार वह अपने ट्वीट्स की वजह से विवादों में घिरते रहे और आईपीएल विवाद के चलते उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। थरूर उस समय संकट में आ गये जब आईपीएल आयुक्त ललित मोदी ने उस संघ के कुछ स्वामियों के नामों का खुलासा किया जिन्होंने 33.3 करोड़ डॉलर की भारी भरकम राशि में कोच्चि आईपीएल की फ्रेंचाइजी खरीदी।

इस संघ का नेतृत्व करने वाली कंपनी रांदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड को इस सौदे में 25 प्रतिशत फ्री इक्विटी मिली थी। कहा गया कि इस फ्री इक्विटी में से 17 प्रतिशत कश्मीरी ब्यूटीशियन सुनंदा पुष्कर को मिली। विवाद में घिरे थरूर को इस्तीफा देना पड़ा। बाद में उन्होंने सुनंदा से विवाह कर लिया।

24 अक्तूबर को आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री पद से के. रोसैया ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने हालाँकि अपने इस्तीफे की वजह निजी कारणों को बताया लेकिन राजनीतिक हलकों में कहा गया कि दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री वाइ एस राजशेखर रेड्डी के पुत्र और कांग्रेस के बागी नेता जगन मोहन रेड्डी की गतिविधियों पर अंकुश न लगा पाने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

जगन मोहन रेड्डी ने न केवल आलाकमान की अवज्ञा कर पदयात्रा निकाली थी बल्कि उनके स्वामित्व वाले साक्षी टीवी पर प्रसारित एक कार्यक्रम में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना की गई थी। बाद में जगन मोहन ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।

समाजवादी पार्टी में अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के बाद दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले अमर सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोपों में दरवाजा दिखा दिया गया। स्थिति यहां तक आई कि मुलायम के करीबियों ने अमर सिंह पर पार्टी की आड़ में निजी हित साधने का आरोप तक मढ़ दिया।

जम्मू कश्मीर के लोकनिर्माण मंत्री जीएम सरूरी को मेडिकल की परीक्षा में उनकी बेटी के स्थान पर किसी अन्य के बैठने से उपजे विवाद के मद्देनजर 26 अगस्त को बख्रास्त कर दिया गया। कांग्रेस के नेता सरूरी को इस विवाद के पैदा होने के बाद इस्तीफा देने को कहा गया था लेकिन उन्होंने इस निर्देश की उपेक्षा कर दी और वह विदेश मंत्रालय की मंजूरी लिए बगैर उमरा करने जेद्दा चले गए। अंतत: उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।

मई माह में गृह मंत्रालय के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी से उपजे विवाद के बाद वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने पद से इस्तीफे की पेशकश की, जिसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ठुकरा दिया। (भाषा)