जोर-जोर से बजते ढोल-नगाड़े, नाचते-गाते लोग और बड़े पैमाने पर जलसा-समारोह। ऐसे मनाया गया एक विवाह समारोह, जिसमें दूल्हा-दुल्हन कोई पुरुष और महिला नहीं थे, बल्कि यह शादी थी - बरगद और पीपल के पेड़ की।
हाल ही में उत्तराखंड के मेलाघाट खातिमा नामक एक छोटे-से गाँव में इन दोनों वृक्षों का भव्य पैमाने पर विवाह कराया गया। कई साल पहले बरगद के वृक्ष की एक शाखा पीपल के वृक्ष से लिपट गयी। गाँव वालों ने इस घटना को अंधविश्वास का रूप देते हुए, इन दोनों वृक्षों को पिछले जन्म के बिछड़े हुए प्रेमी-प्रेमिका मान लिया और धूम-धाम से इनका विवाह करवाया गया। तब से हर साल इन दोनों वृक्षों का विवाह कराने की परम्परा चली आ रही है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि ये विवाह संपन्न करवाने से उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है। ये दोनों वृक्ष पूरे गाँव की रक्षा करते हैं और गाँव को दैवी आपदाओं से बचाते हैं।
यहाँ की निवासी शकुन्तला के अनुसार, बरगद और पीपल के विवाह के बारे में उन्होंने काफी कुछ सुन रखा था, लेकिन पहली बार उसे देख रही हैं। गाँव के सारे लोग इस समारोह में काफी उत्साह से भाग लेते हैं, क्योंकि यह गाँव की सुख-समृद्धि के लिए बहुत महत्पूर्ण है।
इस अनोखे विवाह को पूरा गाँव वैदिक कर्मकाण्डों के अनुसार करवाता है। इस विवाह के दौरान पीपल के वृक्ष को दूल्हा और बरगद को दुल्हन माना जाता है। विवाह के दौरान इन दोनों वृक्षों को सफेद वस्त्रों से लपेटकर सजाया जाता है।
दूर-दूर से हजारों लोग इस समारोह में भाग लेने के लिए आते हैं। सालों पुरानी यह परम्परा आज भी इस गाँव में बड़े धूम-धाम से मनायी जाती है। (एएनआई)