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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 24 जुलाई 2024 (13:11 IST)

गुजरात में हैं 2 ज्योतिर्लिंग, रोचक है सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कहानी

गुजरात के समुद्र तट पर स्थित है दुनिया का पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ

History of Somnath Temple
History of Somnath Temple: विश्व भर में 108 ज्योतिर्लिंग के होने की मान्यता है लेकिन भारत में 12 ज्योतिर्लिंग स्थित है। इसमें से गुजरात में 2 महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग हैं। पहला ज्योतिर्लिंग सौराष्ट्र में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है तो दूसरा द्वारिकापुरम में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं। इसमें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ मंदिर का ज्योतिर्लिंग बहुत ही प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह मंदिर गुजरात प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे प्राचीन पावन क्षेत्र पर्भास क्षेत्र में स्थित है।ALSO READ: गुजरात का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, पांडवों ने किया था स्थापित, नागदोष से मुक्ति का चमत्कारी स्थान

सौराष्ट्र देशे विशवेऽतिरम्ये, ज्योतिर्मय चंद्रकलावतंसम्।
भक्तिप्रदानाय कृतावतारम् तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।
 
सोमनाथ मंदिर की प्राचीनता:-
1. सोमनाथ-ज्योतिर्लिंग की महिमा महाभारत, श्रीमद् भागवत तथा स्कंद पुराण आदि में विस्तार से बताई गई है। इससे यह सिद्ध होता है कि यह ज्योतिर्लिंग सबसे पुराना है। इसे 12 ज्योतिर्लिंगों के क्रम में प्रथम भी माना जाता है।
 
2. पुराणों के अनुसार भगवान चंद्रदेव ने श्राप से मुक्ति होने के लिए पावन प्रभास क्षेत्र में शिवजी की तपस्या की थी। उन्होंने भगवान शिव को ही अपना नाथ-स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी इसलिए इसका नाम 'सोमनाथ' हो गया। चंद्रदेव का एक नाम सोम भी है। इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था। इसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
 
3. लिखित इतिहास के अनुसार सर्वप्रथम इस मंदिर के उल्लेख अनुसार ईसा के पूर्व यह अस्तित्व में था। इसी जगह पर द्वितीय बार मंदिर का पुनर्निर्माण 649 ईस्वी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने किया। 
 
4. कहते हैं कि सोमनाथ के मंदिर में पहले का शिवलिंग हवा में स्थित था। यह शिवलिंग शिवलिंग चुम्बक की शक्ति से हवा में ही स्थित था।
सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण का इतिहास:-
1. पहली बार इस मंदिर को 725 ईस्वी में सिन्ध के मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद ने तुड़वा दिया था। फिर प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका पुनर्निर्माण करवाया।
 
3. अरब यात्री अलबरूनी ने अपने यात्रा वृतांत में इसका विवरण लिखा। इस वृत्तांत से प्रभावित होकर महमूद गजनवी ने सन् 1024-25 में कुछ 5,000 साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उसकी संपत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया। तब मंदिर की रक्षा के लिए निहत्थे हजारों लोग मारे गए थे। ये वे लोग थे, जो पूजा कर रहे थे या मंदिर के अंदर दर्शन लाभ ले रहे थे और जो गांव के लोग मंदिर की रक्षा के लिए निहत्थे ही दौड़ पड़े थे।
 
5. महमूद के मंदिर तोड़ने और लूटने के बाद गुजरात के राजा भीमदेव और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया। 1093 में सिद्धराज जयसिंह ने भी मंदिर निर्माण में सहयोग दिया। 1168 में विजयेश्वर कुमारपाल और सौराष्ट्र के राजा खंगार ने भी सोमनाथ मंदिर के सौंदर्यीकरण में योगदान किया था।
 
6. सन् 1297 में जब दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां ने गुजरात पर हमला किया तो उसने सोमनाथ मंदिर को दुबारा तोड़ दिया और सारी धन-संपदा लूटकर ले गया। मंदिर को फिर से हिन्दू राजाओं ने बनवाया। लेकिन सन् 1395 में गुजरात के सुल्तान मुजफ्फर शाह ने मंदिर को फिर से तुड़वाकर सारा चढ़ावा लूट लिया। इसके बाद 1412 में उसके पुत्र अहमद शाह ने भी यही किया।
 
7. बाद में क्रूर दरिंदे मुस्लिम बादशाह औरंगजेब के काल में सोमनाथ मंदिर को 2 बार तोड़ा गया- पहली बार 1665 ईस्वी में और दूसरी बार 1706 ईस्वी में। 1665 में मंदिर तुड़वाने के बाद जब औरंगजेब ने देखा कि हिन्दू उस स्थान पर अभी भी पूजा-अर्चना करने आते हैं तो उसने वहां एक सैन्य टुकड़ी भेजकर कत्लेआम करवाया। 
 
8. जब भारत का एक बड़ा हिस्सा मराठों के अधिकार में आ गया तब 1783 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई द्वारा मूल मंदिर से कुछ ही दूरी पर पूजा-अर्चना के लिए सोमनाथ महादेव का एक और मंदिर बनवाया गया।
History of Somnath Temple
History of Somnath Temple
सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयासों से बना है वर्तमान मंदिर:-
भारत की आजादी के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल ने समुद्र का जल लेकर नए मंदिर के निर्माण का संकल्प लिया। उनके संकल्प के बाद 1950 में मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ। 6 बार टूटने के बाद 7वीं बार इस मंदिर को कैलाश महामेरु प्रसाद शैली में बनाया गया। इसके निर्माण कार्य से सरदार वल्लभभाई पटेल भी जुड़े रह चुके हैं। इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने बनवाया और 1ली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।
 
सोमनाथ के मंदिर का परिचय : यह मंदिर गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप- तीन प्रमुख भागों में विभाजित है। इसका 150 फुट ऊंचा शिखर है। इसके शिखर पर स्थित कलश का भार दस टन है और इसकी ध्वजा 27 फुट ऊंची है। इसके अबाधित समुद्री मार्ग- त्रिष्टांभ के विषय में ऐसा माना जाता है कि यह समुद्री मार्ग परोक्ष रूप से दक्षिणी ध्रुव में समाप्त होता है। यह हमारे प्राचीन ज्ञान व सूझबूझ का अद्भुत साक्ष्य माना जाता है।
 
कैसे पहुंचें? 
वायु मार्ग- सोमनाथ से 55 किलोमीटर स्थित केशोड नामक स्थान से सीधे मुंबई के लिए वायुसेवा है। केशोड और सोमनाथ के बीच बस व टैक्सी सेवा भी है। 
 
रेल मार्ग- सोमनाथ के सबसे समीप वेरावल रेलवे स्टेशन है, जो वहां से मात्र सात किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहाँ से अहमदाबाद व गुजरात के अन्य स्थानों का सीधा संपर्क है। 
 
सड़क परिवहन- सोमनाथ वेरावल से 7 किलोमीटर, मुंबई 889 किलोमीटर, अहमदाबाद 400 किलोमीटर, भावनगर 266 किलोमीटर, जूनागढ़ 85 और पोरबंदर से 122 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पूरे राज्य में इस स्थान के लिए बस सेवा उपलब्ध है। 
 
विश्रामालय- इस स्थान पर तीर्थयात्रियों के लिए गेस्ट हाउस, विश्रामशाला व धर्मशाला की व्यवस्था है। साधारण व किफायती सेवाएं उपलब्ध हैं। वेरावल में भी रुकने की व्यवस्था है।
 
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