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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : बुधवार, 5 अगस्त 2020 (12:02 IST)

Hanuman garhi history : हनुमानगढ़ी के इतिहास की 5 खास रोचक बातें

Hanuman garhi history : हनुमानगढ़ी के इतिहास की 5 खास रोचक बातें - Know About The Story Of Hanuman Garhi In Ayodhya
अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित हनुमानगढ़ी सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। अयोध्या में राम जन्मभूमि के दर्शन करने से पूर्व यहां पर हनुमानजी के ही दर्शन करना होते हैं। आओ जानते हैं इसका संक्षिप्त इतिहास।
 
 
1. माना जाता है कि लंका विजय करने के बाद हनुमान यहां एक गुफा में रहते थे और राम जन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। इसी कारण इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट पड़ा। इसे ही हनुमानजी का घर भी कहा गया।
2. साहित्यरत्न व साहित्य सुधाकर से विभूषित रायबहादुर लाला सीताराम ने 1933 में अपनी पुस्तक श्रीअवध की झांकी में विस्तार से हनुमानगढ़ी का प्रामाणिक वर्णन किया है। रामनगरी के जीर्णोद्धार के समय महाराजा विक्रमादित्य ने यहां 360 मंदिर बनवाए थे। औरंगजेब के समय इसमें से कई तहस-नहस हो गए।
 
3. तहस-नहस के बाद 17वीं शताब्दी में हनुमानगढ़ी एक टीला के रूप में विद्यामान था। यहीं एक पेड़ के नीचे हनुमानजी की छोटी मूर्ति की पूजा की जाती थी जो आजकर बड़ी मूर्ति के आगे रखी नजर आती है। 
4. कहते हैं कि अयोध्या के महंत बाबा अभयराम ने नवाब शुजाउद्दौला (1739-1754) के शहजादे की जान बचाई थी। जब वैद्य और हकीम ने हाथ टेक दिए थे तब कहते हैं कि नावाब के मंत्रियों ने अभयरामदास से मिन्नत की थी कि एक बार आकर नवाब के पुत्र को देख लें। फिर बाबा अभयराम ने कुछ मंत्र पढ़कर हनुमानजी के चरणामृत का जल छिड़का था जिसके चलते उनके पुत्र की जान बच गई थी। नवाब ने प्रसन्न होकर बाबा से उस समय कहा कि कुछ मांग लीजिये। तब बाबा ने कहा कि हम तो साधु है हमें क्या चाहिए। हनुमानजी की कृपा से आपका पुत्र ठीक हुआ है यदि आपकी इच्छा हो तो हनुमान गढ़ी बनवा दीजिये। तब नवाब ने इसके लिए 52 बीघा भूमि उपलब्ध करवाई थी। यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर के लिए भूमि को अवध के नबाव ने दी थी और लेकिन लगभग दसवीं शताब्‍दी के मध्‍य में उनकी रखैल के द्वारा बनवाया गया था। हालांकि कुछ लोग इस घटना को लखनऊ और फैजाबाद के प्रशासक सुल्तान मंसूर अली से भी जोड़कर देखते हैं।
 
लेकिन यह भी कहा जाता है कि 300 साल पूर्व संत अभयारामदास के सहयोग से हनुमान मंदिर का विशाल निर्माण संपन्न हुआ था। संत अभयारामदास निर्वाणी अखाड़ा के शिष्य थे। 
5. हनुमान मंदिर परिचय : हनुमान गढ़ी, वास्‍तव में एक गुफा मंदिर है। यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 76 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। यहां पर स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा केवल छः (6) इंच लंबी है, जो हमेशा फूलमालाओं से सुशोभित रहती है। इस मंदिर परिसर के चारों कोनो में परिपत्र गढ़ हैं। मंदिर परिसर में मां अंजनी व बाल (बच्‍चे) हनुमान की मूर्ति है जिसमें हनुमानजी, अपनी मां अंजनी की गोदी में बालक रूप में लेटे हैं। हनुमानगढ़ी में ही अयोध्या की सबसे ऊंची इमारत भी है जो चारों तरफ से नजर आती है। इस विशाल मंदिर व उसका आवासीय परिसर करीब 52 बीघे में फैला है। वृंदावन, नासिक, उज्जैन, जगन्नाथपुरी समेत देश के कई नगरों में इस मंदिर की संपत्तियां, अखाड़े व बैठक हैं।