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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 7 जून 2024 (15:10 IST)

Dewas tourist places : इंदौर के पास देवास में घूमने के लिए हैं ये 10 बेस्ट जगहें

dewas tekri
Dewas tourist places: देवास में बैंक नोट प्रेस में नोट छपते हैं और यह मध्यप्रदेश की औद्योगिक नगरी भी है। यहां पर करीब 500 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं। मध्यप्रदेश का देवास जिला प्रकृति और ऐतिहासिक तीर्थ स्थलों से लबरेज है। यहां पर कई रहस्यमयी स्थान। देवास नगर के प्रमुख स्थलों के बारे में संक्षिप्त जानकारी। इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर देवास का नाम देवियों के वास होने के कारण देवास रखा गया है। यहां पर सिद्ध संत देवनारायण भी रहे हैं। इसलिए भी इसे देवास कहते हैं।
 
1. चामुंडा टेकरी : देवास नामक स्थान पर मां चामुंडा और तुलजा भवानी का प्राचीन स्थान है तो एक पहाड़ी पर स्थित है। यहां पर आप सीढ़ियों, रपट या ट्रॉम से पाड़ी पर ऊपर जा सकते हैं। देवास टेकरी पर स्थित मां तुलजा भवानी और चामुंडा माता का यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है।
 
2. खेड़ापति हनुमान मंदिर : यहीं पर हनुमानजी का प्राचीन मंदिर खेड़ापति हनुमान मंदिर भी है। इस मंदिर की सिद्धि और प्रसिद्धि दूर दूर फैली है। यह बहुत ही चमत्कारिक मंदिर माना जाता है। कहते हैं कि यहां पर साक्षात हनुमानजी विराजमान हैं।
 
3. शीलनाथ धूना : देवास में हैं श्रीगुरु योगेंद्र शीलनाथ बाबा का अखंड धूना और ज्योत। आज भी रखी है उनकी खड़ाऊ और पलंग। 100 वर्ष से ज्यादा बीत गए, लेकिन आज भी शयनकक्ष के नीचे बना तलघर और बावड़ी में स्थित वह गुफा वैसी की वैसी है। मल्हार धूनी एक तपोभूमि है, जहाँ बाबा के धूने के अलावा उनके अधिकतर शिष्यों के समाधि स्थल भी हैं।
Tulja Bhavani Chamunda Mata Dewas
4. बिलावली शिवलिंग : चामुंडा टेकरी यानी पहाड़ी से कुछ किलोमीटर दूर बिलावली में एक ऐसा शिवलिंग है जो प्रतिवर्ष एक तिल बढ़ जाता है। इस मंदिर को उज्जैन के महाकाल मंदिर का ही एक रूप माना जाता है जिसकी अलग ही रोचक ही कथा है।
 
5. पवांर छत्रियां : यहां पर पंवार शासकों का राज रहा है। देवास में मीठा तालाब के पास इनकी छत्रियों का निर्माण कि गया था। यह मराठा वास्तुकला का गजब का मॉडल है। इन छत्रियों में बहुत ही महीन कारीगरी की गई है। हालांकि उपेक्षा के चलते इनका क्षरण हो रहा है।
 
6. महादेव मंदिर (शंकर गढ़) : इस मंदिर का निर्माण देवास शासक श्रीमंत सदाशिव राव महाराजा (खासे साहब) ने करवाया था, जिन्हें गिरिजेशर मंदिर के संस्थापक होने का श्रेय भी जाता है। वर्ष 1942 में निर्मित इस मंदिर की सड़क उस समय की पहाड़ियों को काटकर बहुत कठिनाई के बाद बनाई गई थी। अब यह मंदिर पवित्र शहर देवास आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक दर्शनीय स्थल है। यही पर पहाड़ी को पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाया गया है।
 
7. स्वामी नारायण तीर्थ तपोभूमि : स्वामी विष्णु तीर्थ एवं स्वामी नारायण तीर्थ देव देवास शहर को अनेक विख्यात संतों की दिव्य एवं धार्मिक उपस्थिति का सौभाग्य प्राप्त है; शीलनाथ महाराज उनमें से एक हैं। स्वामीजी जयपुर के एक धनी एवं राजसी परिवार से थे, लेकिन उन्हें सांसारिक मामलों में कोई रुचि नहीं थी। उन्होंने भौतिकवादी चीजों का त्याग किया और 36 वर्षों की अवधि तक निरंतर योग साधना की। देवास के वन क्षेत्र से गुजरते समय वे प्राकृतिक एवं शांतिपूर्ण वातावरण से मंत्रमुग्ध हो गए और उन्होंने देवास में ही रहने का निर्णय लिया। न्यायाधीश बलवंत राव बापू एवं तत्कालीन राज्य अधिकारी मल्हार राव पवार ने उनका स्वागत किया और उन्हें मूलभूत सुविधाएं प्रदान कीं। 1921 में उनके निधन तक देवास में सैकड़ों लोगों ने उनके आशीर्वाद का लाभ उठाया और जीवन के सच्चे मार्ग के बारे में उनके उपदेश सुने। आज भी सैकड़ों अनुयायी उनके जीवन के बारे में अधिक जानने और ज्ञान प्राप्त करने के लिए इस स्थान पर आते हैं।
 
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