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Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 3 जून 2025 (12:32 IST)

बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का विरोध क्यों हो रहा है?

banke bihari mandir
Banke bihari temple vrindavan corridor: भगवान श्रीकृष्ण और श्री राधा जी की लीलाओं का धाम है वृंदावन। यहां के बांके बिहारी मंदिर के दर्शन करने के लिए देश और विदेश से प्रतिदिन लाखों भक्त आते हैं। सरकार अब इस धाम का विकास करना चाहती है और बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाना चाहती है। वृंदावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के सुप्रीम कोर्ट और यूपी सरकार के द्वारा न्यास बोर्ड का गठन करने के बाद गोस्वामी समाज इसका विरोध कर रहा है। गोस्वामी समाज कॉरिडोर और अध्यादेश दोनों का विरोध कर रहे हैं। बांके बिहारी कॉरिडोर निर्माण की अधिसूचना जारी होने और निर्माण एजेंसी तय किए जाने के बाद से मथुरा में विवाद गहरा गया है।
 
सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी:
प्रसिद्ध ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर प्रकरण में सुप्रीम ने 15 मई को एक फैसला दिया कि बांके बिहारी मंदिर का 5 एकड़ में कॉरिडोर 500 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाए और जिसमें जमीन खरीद में बांके बिहारी मंदिर के खजाने के रुए का प्रयोग किया जाए। कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने विशेष अध्यादेश के द्वारा न्यास बोर्ड गठन की अधिसूचना जारी कर दी है। हालांकि सरकार की अधिसूचना पर मंदिर सेवायत की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में सुनवाई होनी बाकी है।
 
क्या है सरकार की अधिसूचना:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 213 के खंड 1 में प्रदत्त शक्ति का उपयोग करते हुए प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने श्री बांके बिहारी न्यास अध्यादेश 2025 के गठन की अधिसूचना जारी करते हुए धर्मार्थ कार्य विभाग को प्रशासनिक कार्य के रूप में संबद्ध किया है। अध्यादेश के तहत प्रदेश सरकार द्वारा जल्द ही 18 सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा जिसमें 7 पदेन और 11 सदस्य नामित होंगे। पदेन सदस्यों में जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, तीर्थ विकास परिषद के सीईओ, धर्मार्थ कार्य विभाग के एक अधिकारी, राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी के अलावा नामित सदस्यों में संत, वैष्णव, शिक्षाविद आदि शामिल होंगे।
 
गोस्वामी समाज मानता है इसे अपनी निजी संपत्ति: 
बांके बिहारी मंदिर पर करीब 5 एकड़ में कॉरिडोर निर्माण के लिए ट्रस्ट गठन के लिए सरकार की ओर से जारी अध्यादेश को लेकर गोस्वामीजनों में आक्रोश है। गोस्वामियों ने न्यास गठन के लिए जारी अध्यादेश पर कहा कि जब मंदिर उनकी निजी संपत्ति है तो सरकार इसमें हस्तक्षेप क्यों कर रही है। उन्होंने अध्यादेश को मनाने से साफ इनकार कर दिया। गोस्वामी समाज का मानना है कि यह मंदिर उनकी निजी संपत्ति है जिस पर वे सरकार का आधिपत्य नहीं चाहते हैं। हमारे पूर्वजों ने 1864 में 17 साल तक अपने शिष्यों से पैसा इकट्ठा कर मंदिर निर्माण किया था। 
 
गोस्वामी समाज की धमकी:
गोस्वामी ने अब इस मामले में मथुरा छोड़कर जाने की धमकी दे दी है। गोस्वामियों ने स्पष्ट कह दिया है कि यदि सरकार अपनी मंशा के अनुरूप मंदिर और पैसा चाहती है तो वे अपने ठाकुरजी को लेकर परिवार सहित यहां से पलायन कर जाएंगे और फिर हम भी वही करेंगे जो हमारे पूर्वजों ने किया था। यानी गोस्वामी समाज मूर्ति को लेकर चले जाएंगे और एक नया मंदिर निर्माण करेंगे।
 
मीटिंग के बाद मीडिया के सामने गोस्वामियों ने कहा कि सैकड़ों साल पहले ब्रज के सप्तदेवालयों में से चार प्रमुख देवालय के गोस्वामी को उस समय आक्रांताओं के कारण यहां से जाना पड़ गया। जो ब्रजवासी थे वे भी पलायन कर गए। उन्होंने कहा कि हम नहीं कह रहे कि बीजेपी सरकार कोई आक्रांता है, लेकिन इस तरह कोई समस्या खड़ी हो जाती है तो हम इस स्थान को छोड़ देंगे।
 
क्या कहते हैं सरकारी दस्तावेज?
राजस्व दस्तावेजों के अनुसार, बांके बिहारी मंदिर किसी की निजी प्रॉपर्टी नहीं है। राजस्व दस्तावेजों में मंदिर की जगह गोविंद देव के नाम से दर्ज है। यूपी ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ एसबी सिंह ने पुष्टि की है कि राजस्व अभिलेखों में मंदिर की जगह गोविंद देव के नाम से दर्ज है। मिली जानकारी के अनुसार, मौजा वृंदावन बांगर के राजस्व अभिलेख और खतौनी श्री बांके बिहारी मंदिर के नाम से कोई जमीन अंकित नहीं है। वृंदावन बांगर के नॉन जेडए की खेवट मुहाल कलॉ गोविंद देव जी खेवट संख्या 103, खसरा संख्या 598 दर्ज है। इस भूमि का कुल क्षेत्रफल 299.65 एकड़ है।
 
सरकार चाहती है समस्या का समाधान:
सरकार का मानना है कि शहर और मंदिर में आने वाले भक्तों की संख्या और उनको हो रही असुविधाओं के देखते हुए यहां का विकास किया जाए। इसके लिए वह सभी पक्षों के बीच सामंजस्यता बिठाना चाहती है। रविवार को डीएम सीपी सिंह, एसएसपी श्लोक कुमार और एमवीडीए के वीसी एसबी सिंह सेवायत गोस्वामियों से मीटिंग करने वृंदावन पहुंचे। गोस्वामियों को यह समझाने का प्रयास किया कि कॉरिडोर उनके हित में है।  
 
सरकार ने स्पष्ट किया है कि कॉरिडोर क्षेत्र में रहने वाले लोग, दुकानदार व गोस्वामी परिवारों का हनन न हो सके इसका ध्यान रखा जाएगा। जिसमें शासन की तरफ से स्पष्टीकरण दिया गया है कि मंदिर कॉरिडोर को लेकर जो भ्रांतियां फैल रही है, उन पर ध्यान न दिया जाए। चाहे वो गोस्वामी परिवार हो या स्थानीय लोग व दुकानदार सभी का ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा गोस्वामी परिवार जिस तरह सेवा कर रहा है, उसमें भी किसी भी प्रकार का फेरबदल नहीं किया जाएगा और हम कॉरिडोर के फैसले का स्वागत करते हैं और योगी आदित्यनाथ जी को आभार जताते हैं।
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