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कही-अनकही 15 : बचपन के दोस्त

कही-अनकही 15 : बचपन के दोस्त - short story about relationship kahi ankahi
'हमें लगता है समय बदल गया, लोग बदल गए, समाज परिपक्व हो चुका। हालांकि आज भी कई महिलाएं हैं जो किसी न किसी प्रकार की यंत्रणा सह रही हैं, और चुप हैं। किसी न किसी प्रकार से उनपर कोई न कोई अत्याचार हो रहा है चाहे मानसिक हो, शारीरिक हो या आर्थिक, जो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता, क्योंकि शायद वह इतना 'आम' है कि उसके दर्द की कोई 'ख़ास' बात ही नहीं। प्रस्तुत है एक ऐसी ही 'कही-अनकही' सत्य घटनाओं की एक श्रृंखला। मेरा एक छोटा सा प्रयास, उन्हीं महिलाओं की आवाज़ बनने का, जो कभी स्वयं अपनी आवाज़ न उठा पाईं।'
एक कहानी उन लड़कियों के नाम जो अपने ‘बचपन के दोस्त’ पर दोस्त की पत्नी से भी ज्यादा हक़ रखती हैं। उन लड़कियों के नाम जो खुद तो शादीशुदा हैं, लेकिन अपने ‘दोस्त’ की शादी से शायद खुश नहीं हैं–क्योंकि उनका दोस्त अब उन्हें उतना वक़्त नहीं दे पाता जितना पहले देता था। बाकी कसर टेक्नोलॉजी और इन्टरनेट और सोशल मीडिया ने पूरी कर ही दी है।
 
दृश्य 1 : आदि के फ़ोन पर दीया के हर रोज़ मेसेज आते हैं जो नोटिफिकेशन में एना को दिख जाते हैं। ये वही दीया है जिससे आदि ने एना की शिकायत की थी, जब एना से ‘कच्चे आलू’ बन गए थे,अगर आपको याद हो।

 
मेसेज 1: ‘खाना खा लिया ठीक से या कच्चे आलू ही खिलाए हैं एना ने? हाहाहा!’
 
मेसेज 2: ‘बहुत नाराज़ हूं मैं तुमसे। शादी के बाद तो दोस्त-दोस्त न रहा सा लग रहा है अब। कहां गए मेरे रात के कॉल्स?’
 
मेसेज 3: ‘सुनो, तीन जॉब ऑफर हैं। कौनसा लेना है कब डिस्कस करें? वही 9-6 बजे के बीच? बाद में तो एना को दिक्कत होगी न।’
 
(वैसे ये 9-6 वही ऑफिस टाइम है जब आदि एना को एक मेसेज या एक कॉल नहीं कर पाता क्योंकि वह कथित तौर पर ‘बहुत व्यस्त’ रहता है।)
 
दृश्य 2 : ऐसे ही एक दिन एना और आदि के बीच बहस हो गई और सवाल उठा कि क्यों आदि की ये ‘ख़ास’ सहेलियां कभी एना से बात नहीं करती? ऐसी क्या बात है जो इन्हें ऑफिस टाइम में ही करनी होती है, एना के सामने नहीं? ऐसी क्या बात है जो आधी रात को ये लोग शादी के पहले करते थे? ऐसे कौनसे राज़ हैं जो आदि एना से छुपाता है और कभी अपनी इन दोस्तों से एना की बात नहीं कराता? गुस्से में आदि ने दीया को ही फ़ोन लगा दिया, फ़ोन लाउडस्पीकर पर डाला और आज एना ने दीया से पहली बार बात कर ही ली।
 
‘तो दीया, तुम जानती थी कि तुम्हारे इस तरह छुप कर मेरे हस्बैंड से बात करने से मुझे तकलीफ होती है... फिर भी तुम करती रहीं?’
 
‘नहीं एना, नहीं जानती थी। वैसे भी हमारी तो 6 महीने से बात नहीं हुई।’
 
‘6 महीने? तुम जानती थी कि मैं नाराज़ हो कर इसी बात पर अपने मायके चले गई थी?’
 
‘हां जानती हूँ...’
 
‘तो मैं तो अभी एक महीने पहले ही गई थी दीया... तुम तो कह रही हो तुम्हारी बात नहीं हुई 6 महीने से?’
 
‘एना, मैं इतनी डिटेल याद नहीं रखती...’
 
‘अच्छा? 12 घंटे पहले का तो याद रहता है न तुम्हें दीया? तुमने कल रात ही आदि को जॉब ऑफर का मैसेज भेजा है और तय किया है कि ऑफिस टाइम में तुम दोनों बात करोगे, है न? याद है या वह भी भूलने का नाटक करोगी तुम दीया? अब ये बताओ कि ऐसा क्या है कि तुमको ऑफिस टाइम में ही बात करना है? ऐसी कौनसी बात है की तुम मेरे सामने नहीं कर सकती? ऐसी क्या मजबूरी है की तुमने कभी मुझसे तुम्हारे ‘बेस्ट फ्रेंड’ की पत्नी से बात तक करने की कोशिश नहीं की?’
 
‘एना, मुझे लगा तुम्हें मेरे और आदि के बात करने से तकलीफ है, इसलिए ऑफिस टाइम में बात करने वाले थे। मैं बीच में नहीं आना चाहती थी।’
 
‘मतलब तुम जानती थी की आदि और मेरे बीच तुम्हारी वजह से कोई तकलीफ है, लेकिन फिर भी तुम आदि से बात करना बंद नहीं कर सकी? न ही तुमने मुझसे कभी संबंध सुधारने की कोशिश की? तुम्हें ख़ुशी मिलती है की तुम्हारे ‘बेस्ट फ्रेंड’ आदि की ज़िन्दगी में तुम्हारे कारण दिक्कत हो?’
 
‘नहीं एना, वो तो मेरे ‘छोटे भाई’ जैसा है और तुम मेरे लिए ‘छोटी बहन’। मुझे मालूम होता की तुमको दिक्कत है तो मैं तो पहले से ही आदि से दूर हो जाती।’
 
‘दोनों तरफ की बातें मत करो। तुम पहले ये तय करो कि तुम जानती हो की क्या दिक्कत है या नहीं जानती। और ये तय करो कि अगर आदि से बात करना है तो मुझसे क्यों नहीं। और ये भी, कि अगर आदि से छुप कर बात करनी है, तो ऐसी कौनसी बात है जो तुमको छुपा कर करनी पड़ रही है, और क्यों।’
 
‘आज के बाद मैं आदि से भी कोई बात नहीं करुँगी अगर तुम्हें इसी में ख़ुशी मिले। वैसे मैं बता दूं कि आदि मेरे लिए मेरे परिवार की तरह है। और मैं कभी उसका बुरा नहीं चाहूंगी।’
 
इतने में आदि भी बोल उठा –
‘एना, छोड़ो तुम फ़ोन। दीया, हम अब से बात नहीं करेंगे। प्लीज़ बुरा मत मानना। और एना, तुम तो अब मुझसे बात ही मत करना। तुम्हारी वजह से मैंने अपना सब कुछ खो दिया है आज। खोखली ज़िन्दगी हो गई मेरी तुम्हारी वजह से। अब तुम भुगतो मुझे ऐसे ही।’
 
उल्टा चोर कोतवाल को डांटें? एना आदि को देखते ही रह गई कि कोई इतना स्वार्थी और निकृष्ट कैसे हो सकता है? छुप-छुप कर अपनी महिला मित्रों से देर रात तक बात करना आदि को सही लगता है, और अगर एना को इस बात से आपत्ति हो, तो एना की ही गलती है? एना से अधिक प्रिय आदि के लिए वो ‘दोस्त’ हैं, जो अपनी ज़िन्दगी में सुकून से जी रहे हैं लेकिन आदि की ज़िन्दगी में हस्तक्षेप कर रहे हैं? खैर, ये तो ‘कही-अनकही’ बातें हैं, क्योंकि जब अपना सिक्का ही खोटा हो, तो एना क्या कर सकती है?