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Last Updated : गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017 (23:56 IST)

अयोध्या में सिमट रही है पत्थर तराशने की कार्यशाला

अयोध्या में सिमट रही है पत्थर तराशने की कार्यशाला - VHP, Ram temple Ayodhya, Ayodhya
अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिन्दू परिषद की पत्थर  तराशने वाली कार्यशाला अब सिमटती जा रही है।
 
कार्यशाला में मजदूरों की संख्या घटाकर एक चौथाई से कम कर दी गई है, जिससे पत्थरों को  तराशने की गति काफी धीमी हो गई है। विहिप आलोचकों ने इसे विहिप की अयोध्या में समाप्त हो रही लोकप्रियता करार दिया है, जबकि विहिप का दावा है कि पत्थरों की आपूर्ति में आई कमी की वजह से कारीगरों की संख्या घटानी पड़ी।
 
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने गुरुवार को यहां कहा कि सितंबर 1990 में  स्थापित कार्यशाला में 70 कारीगर काम करते थे जबकि इस समय सिर्फ 4 ही काम कर रहे हैं।  श्रीराम जन्मभूमि न्यास की इस कार्यशाला में प्रस्तावित मॉडल के अनुसार 1 लाख 75 हजार  घनफुट पत्थर तराशने हैं जिसमें लगभग 67 प्रतिशत पत्थर तराशे जा चुके हैं।
 
विहिप नेता ने कहा कि मंदिर के एक मंजिल तथा ऊपर के कुछ भाग के लिए भी पत्थरों के  तराशने का काम पूरा हो गया है। मॉडल के अनुसार 16 गुणा 16 फुट के 212 खंभों का  निर्माण किया जाना है। मंदिर की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई 268 गुणा 140 गुणा 128 फुट है।
 
शर्मा ने बताया कि उत्तरप्रदेश की सरकार ने 2016 से राजस्थान के वंशी पहाड़पुर से मंगाए जा  रहे पत्थरों पर रोक लगा दी है, जिससे मंदिर निर्माण के लिए पत्थर कार्यशाला नहीं पहुंच पा  रहे हैं। जिसकी वजह से पत्थर तराशने का काम ढीला हुआ है।
 
उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए तराशे जा रहे सितंबर 1990 से लगातार पत्थर कार्यशाला में पहुंच रहे थे लेकिन दिसंबर 2015 में 1 ट्रक कच्चे पत्थरों की खेप कार्यशाला में आई थी। उसके बाद से प्रदेश के वाणिज्य कर विभाग ने पत्थरों के आने पर रोक लगा दी। पत्थरों को लाने के लिए वाणिज्य कर विभाग से फार्म 39 कार्यशाला मांगता रहा लेकिन नहीं दिया गया।
 
विहिप मीडिया प्रभारी का कहना था कि अपव्यय न हो इसलिए कारीगरों की संख्या सीमित कर  दी गई है। मंदिर निर्माण की संभावना संबंधित पूछे एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि  जिस तरह ढांचा टूटा था उसी तरह मंदिर भी बनेगा।
 
दूसरी ओर, विवादित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा कि  पत्थरों की कमी की वजह से नहीं बल्कि यहां विहिप की घट रही लोकप्रियता की वजह से  कार्यशाला में काम सिमट रहा है। 
 
उन्होंने दावा किया कि विहिप के पांव अब अयोध्या से उखड़  गए हैं इसलिए विहिप के क्रियाकलाप भी ढीले पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण में  अनिश्चितता बनी हुई है। इसका भी कारण है कि कार्यशाला में रखे गए पत्थरों को भी तराशने  का काम ढीला हो गया है।
 
दास ने कहा कि मंदिर आंदोलन के महानायक एवं श्रीराम जन्मभूमि न्यास के निवर्तमान  अध्यक्ष स्व. परमहंस रामचन्द्र दास एवं विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्व. अशोक सिंहल के न  रहने की वजह से भी मंदिर आंदोलन कमजोर हो गया है और अयोध्या में विहिप की  गतिविधियों को जनता से अपेक्षित समर्थन नहीं मिल रहा है।
 
उन्होंने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार से भी मंदिर निर्माण के बारे में भी कोई गतिविधि नहीं  की जा रही है। इससे मंदिर निर्माण का मुद्दा और भी उपेक्षित है। उन्होंने कहा कि अयोध्या के  संत-धर्माचार्य, विभिन्न पार्टियों में बंटे हुए हैं इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि कौन किस  पार्टी के साथ है, लेकिन सभी लोग चाहते हैं कि मंदिर का निर्माण शीघ्र हो। (वार्ता)