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Last Updated :लखनऊ , गुरुवार, 12 अप्रैल 2018 (10:22 IST)

उन्नाव मामले में योगी सरकार सख्त, बढ़ी भाजपा विधायक की मुश्किल

उन्नाव मामले में योगी सरकार सख्त, बढ़ी भाजपा विधायक की मुश्किल - Unnav case : FIR against BJP MLA
लखनऊ। उन्नाव में युवती से गैंगरेप और पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीबीआई जांच कराने के आदेश दिए हैं। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम की रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश सरकार द्वारा भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व अन्य के खिलाफ गैंगरेप का मामला दर्ज करने के भी आदेश दिए गए है।इसके बाद आज सुबह विधायक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। 
 
18 वर्षीय लड़की से बलात्कार के मामले में विधायक कुलदीप सिहं सेंगर की कथित संलिप्तता के कारण बढ़ती मुश्किल के बीच राज्य सरकार ने विधायक और अन्य आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। 

उन्नाव पुलिस अधीक्षक ने बताया कि बलात्कार के आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और पॉक्सो कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
 
योगी सरकार ने उन्नाव जिला अस्पताल के दो डॉक्टरों को निलंबित कर अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए हैं। जेल अस्पताल के भी तीन डॉक्टरों पर भी कार्रवाई की गाज गिरी है जिन पर पीड़िता के पिता के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप है। इसके साथ ही क्षेत्राधिकारी सफीपुर, कुंवर बहादुर सिंह भी लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिए गए हैं। 
 
शासन ने एसआईटी के साथ जेल डीआईजी और उन्नाव जिला प्रशासन से भी रिपोर्ट मांगी थी। एक साथ तीन रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार ने ये फैसले किए हैं। इसके साथ ही सरकार पीड़िता के परिवार को सुरक्षा भी उपलब्ध कराएगी।
 
यह कदम ऐसे समय आया जब सेंगर नाटकीय ढंग से पुलिस के सामने पेश हुए, लेकिन समर्पण करने से मना कर दिया। सेंगर ने कहा, 'मैं यहां मीडिया के समक्ष आया हूं। मैं भगोडा नहीं हूं। मैं यहां राजधानी लखनऊ में हूं। बताइए क्या करूं।’ 
 
प्रधान सचिव ( सूचना ) ने एक बयान में कहा, 'विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर बलात्कार के आरोपों पर विचार करते हुए उचित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी।'
 
सरकार ने पीड़िता के पिता की मौत की जांच भी सीबीआई से कराने का फैसला किया है। ये फैसले मामले की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ( लखनऊ जोन ) के अधीन गठित विशेष जांच टीम के सरकार को रिपोर्ट सौंपने के बाद लिए गए।
 
घटनाक्रम तब हुआ जब कुछ घंटे पहले ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी के पत्र पर राज्य सरकार से घटना पर उसका रुख पूछा और मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी।

गृह सचिव अरविंद कुमार ने कहा कि सभी पक्षों से बात की गई है। उन्होंने कहा कि एफआईआर में पड़ोसी का नाम भी है। मारपीट पर डीआईजी जेल ने रिपोर्ट दी है। इसकी जांच सीबीआई को देने का फैसला दिया गया। डॉक्टरों की लापरवाही भी सामने आई है। डीजीपी ने कहा कि विधायक पर आरोप लेकिन अब दोषी साबित नहीं। डीजीपी ने कहा कि विधायक को अभी गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।