मातम, कुशीनगर के पांच गांवों में आज भी नहीं जले चूल्हे...
कुशीनगर। भगवान बुद्ध की निर्वाण स्थली कुशीनगर के पांच गांवों के बाशिंदे मासूमों की अकाल मृत्यु के गम से उबर नहीं पा रहे हैं।
ट्रेन की टक्कर से स्कूल वैन में सवार 13 बच्चों की मृत्यु से आहत इन गांवों में मातम पसरा हुआ है। गांवों की चौपाल से लेकर खेत-खलिहान सूने पड़े हैं। मृतक बच्चों के घरों में रह रह कर उठ रहा करुण क्रंदन माहौल को और गमगीन बना रहा है, वहीं गांव के अधिकांश घरों में चूल्हा तक नही जला है। छोटे बच्चों की भूख मिटाने के लिए परिजन दूध और घर में रखे अन्य खाद्य पदार्थों का सहारा ले रहे हैं।
ग्रामीण पीड़ित परिवारों को ढांढस बंधा रहे हैं। दुदही क्षेत्र के पांच गांवों से जब 13 बच्चों के शव उठाए गए तो पूरा इलाका गम की चादर में लिपट गया। मासूमों को मिट्टी में दफन करने वालों के हाथ कांप रहे थे। दुदही, पडरौन मरूरही, बतरौली धुड़खणवा, कोकिलपट्टी और मिश्रौली गांवों से जब स्कूली बच्चों के शव लेकर चले तो अगल-बगल के गांवों के लोग भी शामिल हो गए।
इस हादसे में मिश्रौली गांव के प्रधान अमरजीतसिंह के दो लड़के और एक बेटी की मृत्यु हो गई। बेहाल अमरजीत ने कहा कि अब जीने का मकसद ही नहीं रह गया जिसके लिए जी रहे थे वही नहीं रहे। (वार्ता)