heat becomes deadly in delhi : राष्ट्रीय राजधानी में भीषण गर्मी के चलते दिल्ली के अस्पतालों में गर्मी और लू लगने के मामलों और मौतों में वृद्धि देखी जा रही है। केंद्र द्वारा संचालित राममनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में पिछले दो दिन में 22 मरीज लाए गए। मीडिया खबरों के मुताबिक दिल्ली में हीट स्ट्रोक से 13 लोगों को मौत हो चुकी है। इनमें हीट स्ट्रोक के 9 मरीज RML अस्पताल में इलाज करा रहे थे तो वहीं 4 मरीज सफरदरजंग अस्पताल में भर्ती थे। अभी भी 11 मरीज वेंटिलेटर पर हैं, जो लू लगने की वजह से अस्पताल में भर्ती कराए गए थे।
अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीड़ितों को कोई अन्य बीमारी नहीं थी। जब ऐसे लोग अस्पताल आते हैं, तो उनके शरीर का तापमान दर्ज किया जाता है और यदि यह 105 डिग्री फारेनहाइट से अधिक पाया जाता है तथा कोई अन्य कारण नहीं होता है, तो उन्हें हीटस्ट्रोक का मरीज घोषित कर दिया जाता है। हीटस्ट्रोक के कारण मरने वालों को संदेहास्पद हीटस्ट्रोक घोषित किया जाता है। दिल्ली सरकार की एक समिति है जो बाद में मौतों की पुष्टि करती है।
शरीर को तुरंत ठंडा करने के लिए अस्पताल ने अपनी तरह की पहली हीटस्ट्रोक यूनिट स्थापित की है। अधिकारी ने कहा, इस यूनिट में कूलिंग तकनीक है और मरीजों को बर्फ और पानी से भरे बाथटब में रखा जाता है। जब मरीज के शरीर का तापमान 102 डिग्री फारेनहाइट से नीचे चला जाता है, तो उनकी निगरानी की जाती है। अगर उनकी हालत स्थिर होती है, तो उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। अन्यथा, उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाता है। भर्ती होने वाले ज्यादातर मरीज मजदूर हैं।
सफदरजंग अस्पताल में हीटस्ट्रोक के कुल 60 मरीज आए, जिनमें से 42 को भर्ती किया गया। अस्पताल ने छह लोगों की मौत की सूचना दी है, जिसमें 60 वर्षीय एक महिला और 50 वर्षीय एक पुरुष शामिल हैं, जिनकी मंगलवार को मौत हो गई।
लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, पिछले दो दिन में हीटस्ट्रोक के कारण चार मरीजों की मौत हो गई है। अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को संदिग्ध हीटस्ट्रोक के कारण दो मौतें हुईं और बुधवार को भी दो लोग हताहत हुए। हीटस्ट्रोक के 16 मरीज भर्ती हैं।
पीड़ितों में से एक की 15 जून को इलाज के दौरान मौत हो गई। उसकी उम्र करीब 39 साल थी, वह एक मोटर मैकेनिक था, जो जनकपुरी में अपनी दुकान पर काम करते समय बेहोश हो गया था। जब उसे अस्पताल लाया गया था तो वह तेज बुखार से जूझ रहा था।
11 से 19 जून के बीच 192 की मौत : एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह भी कहा कि लगातार पड़ रही भीषण गर्मी के बीच, पिछले 48 घंटों में राष्ट्रीय राजधानी के पांच जिलों में वंचित सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के 26 से अधिक लोगों के शव मिले हैं। हालांकि, इन मौतों का कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। बेघर लोगों के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट ने दावा किया है कि 11 से 19 जून के बीच दिल्ली में भीषण गर्मी के कारण 192 बेघर लोगों की मौत हुई।
हीटस्ट्रोक के लक्षणों पर बात करते हुए अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मरीज शरीर में पानी की मात्रा घटने के कारण कभी-कभी बेहोश हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत तेज बुखार भी होता है, जिससे शरीर का तापमान 106 से 107 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है।
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में प्रतिदिन बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में हीटस्ट्रोक के 30 से 35 मामले सामने आ रहे हैं। अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ. अतुल कक्कड़ ने कहा कि ओपीडी में, चिकित्सा सुविधाएं गर्मी से होने वाली बीमारियों से संबंधित साप्ताहिक 30 से 35 मामलों की रिपोर्ट कर रही हैं। इनमें मांसपेशियों में ऐंठन और थकावट जैसी स्थितियां शामिल हैं।
भीषण गर्मी के कारण ल्यूपस का प्रकोप बढ़ रहा है जो त्वचा, जोड़ों और गुर्दे के अलावा अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। ल्यूपस से पीड़ित लोगों को अक्सर तापमान बढ़ने के साथ ही लक्षण बढ़ने लगते हैं। मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली में बुधवार को 12 वर्षों में सबसे गर्म रात रही और न्यूनतम तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से आठ डिग्री अधिक था। इनपुट भाषा