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Last Modified: मुंबई , शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025 (12:29 IST)

न्यू इंडिया सहकारी बैंक गबन मामले में बड़ा खुलासा, पूर्व GM को लेकर कर्मचारियों ने किया यह दावा

न्यू इंडिया सहकारी बैंक गबन मामले में बड़ा खुलासा, पूर्व GM को लेकर कर्मचारियों ने किया यह दावा - Big revelation in New India Cooperative Bank embezzlement case
New India Cooperative Bank embezzlement case : न्यू इंडिया सहकारी बैंक के पूर्व महाप्रबंधक (GM) हितेश मेहता अपने 2 कर्मचारियों को फोन करके निर्देश देते थे कि वे बैंक की तिजोरियों से एक बार में 50 लाख रुपए निकालकर उन लोगों को सौंप दें, जिन्हें उन्होंने बैंक भेजा है। मेहता और ‘रियल एस्टेट डेवलपर’ धर्मेश पौन बैंक से 122 करोड़ रुपए के गबन के सिलसिले में रविवार से हिरासत में हैं, जिसका खुलासा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की जांच के बाद हुआ था। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) मामले की जांच कर रही है। आरोपी उन्नाथन अरुणाचलम उर्फ ​​अरुण भाई अभी भी फरार है, जिसे मेहता ने 50 करोड़ रुपए दिए थे।
 
पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मेहता और ‘रियल एस्टेट डेवलपर’ धर्मेश पौन बैंक से 122 करोड़ रुपए के गबन के सिलसिले में रविवार से हिरासत में हैं, जिसका खुलासा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की जांच के बाद हुआ था। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) मामले की जांच कर रही है।
अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा, बैंक की तिजोरी तक मेहता की पहुंच थी क्योंकि वह बैंक के संरक्षक थे। बैंक के दो कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए हैं। कर्मचारियों ने बताया कि कैसे वे मेहता द्वारा भेजे गए लोगों को नकदी देते थे। मामले में गवाह बने इन बैंक कर्मचारियों ने बताया है कि उन्होंने कई लोगों को एक से अधिक बार 50 लाख रुपए की नकदी दी।
 
उन्होंने कहा कि अब तक की जांच में पाया गया है कि बैंक के एक पूर्व कर्मचारी ने मौजूदा स्थिति के बारे में आरबीआई को पत्र लिखा था। उन्होंने कहा कि इस सूचना की आरबीआई से पुष्टि की जा रही है। अधिकारी ने बताया कि अधिकारियों को पता था कि बैंक की हालत खराब है, क्योंकि अयोग्य व्यक्तियों को धन वितरित किए जाने के कारण गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़ रही हैं।
अधिकारी ने कहा, पिछले दो साल में बैंक की स्थिति को देखते हुए हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि ‘ऑडिट’ में कोष के दुरुपयोग की बात क्यों नहीं बताई गई। हमने ‘ऑडिट’ करने वालों के बयान दर्ज करने शुरू कर दिए हैं। खातों के अनुसार नकदी 138 करोड़ रुपए थी, जबकि आरबीआई की जांच में बैंक की दो तिजोरियों से 122 करोड़ रुपए गायब पाए गए। ईओडब्ल्यू इस बात की जांच कर रहा है कि क्या पैसा एक बार में गायब हुआ।
अधिकारी ने बताया कि बैंक के ‘ऑडिट’ में शामिल ‘चार्टर्ड अकाउंटेंसी फर्म’ के साझेदार अभिजीत देशमुख का बयान दक्षिण मुंबई स्थित आयुक्तालय में आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज किया गया। अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया, बैंक के पूर्व सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) अभिमन्यु भोआन का बयान बुधवार को दर्ज किया गया था। उन्हें आज फिर जांच के सिलसिले में बुलाया गया है। इस बीच, आरोपी उन्नाथन अरुणाचलम उर्फ ​​अरुण भाई अभी भी फरार है, जिसे मेहता ने 50 करोड़ रुपए दिए थे। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour