मंगलवार, 5 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. राम नवमी
  4. Shri ram navmi vishesh
Written By

जो राष्ट्र का मंगल करे, वही राम है : स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज

जो राष्ट्र का मंगल करे, वही राम है : स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज - Shri ram navmi vishesh
जिस युग में हम जी रहे हैं, वह बाजार की जकड़ में है। भौतिक वस्तुएं ही व्यक्ति को सब कुछ लगने लगी हैं। व्यक्ति ग्राहक मात्र होकर रह गया है, इसलिए कथा तो सिर्फ एक बहाना है। वास्तविकता में कथा के माध्यम से हर साधक से जागना है और संस्कारों की फसल उगाना है।
 
समाज में जितनी भी प्रतिकूलताएं व प्रकृति में विकृतियां हैं, उन सबका मूल कारण संयम का न होना है। ज्यादा से ज्यादा पाने की इच्छा ने असंतुलन को जन्म दिया है। इसका एकमात्र समाधान है कि संयमित जीवन जिया जाए।
 
जैसा कि मिट्टी का घड़ा आकाश की ओर पीठ और धरती की ओर मुख करके पड़ा रहे तो चाहे कितनी भी वर्षा हो जाए, वह घड़ा नहीं भरेगा। उसी प्रकार क्रोध कामना की कोख से उपजता है। यदि कोई कामना अधूरी रहे तो व्यक्ति आपा खो बैठता है। इसलिए मनुष्य को जीवन में संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक है।
 
जिस प्रकार देवी पार्वती ने सती के रूप में अपने पिता से मिले अपमान से प्रभावित होकर प्राण त्याग दिए थे, इसलिए कामनाओं पर काबू आवश्यक है। मनुष्य आदर के प्रति अत्यधिक आसक्त होता है। वह सदैव आदर चाहता है।
 
इसका कारण यह है कि उसके भीतर ईश्वर का अंश है। इसी कारण उसे आदर सम्मान की इच्छा जागृत होती है, इसलिए यदि आप आदर चाहते हैं तो आदर बोइए। क्योंकि आदरणीय वही होते है, जो दूसरों को आदर देते हैं।
 
जो राष्ट्र का मंगल करें, वही राम है। जो लोकमंगल की कामना करें, वही राम है। सबसे आदर्श और मर्यादित व्यक्तित्व ही श्रीराम है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन संघर्षमय रहा। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने मर्यादा नहीं छो़ड़ी और वानर जाति को साथ लेकर लंकापति रावण का दमन किया। जहां नीति है, धर्म है, वहां श्रीराम साथ हैं, इसलिए संसार में उनसे बड़ा आदर्श पुरुष दूसरा कोई नहीं हुआ।
 
नगर के मकानों, चौराहों से लेकर दूरदराज की चौपालों तक रामायण की चौपाई और दोहे वर्ष भर गूंजते रहते हैं। भगवान श्रीराम की महिमा और हनुमान की श्रद्धा जन-जन में स्थापित होने का यह प्रत्यक्ष उदाहरण है।