नारायण राणे : प्रोफाइल
महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। महाराष्ट्र के कद्दावर नेता माने जाने वाले नारायण राणे का जन्म 10 अप्रैल 1952 को एक सामान्य परिवार में हुआ। राजनीति में आने से पहले नारायण राणे ने अपनी आजीविका के लिए एक चिकन शॉप खोली थी। नारायण राणे के विरोधी उनके आपराधिक इतिहास का आरोप लगाते हैं। विरोधी गैंग के महादेव ठाकुर से बदला लेने के लिए राणे ने शिवसेना का दामन थामा था।
राजनीतिक जीवन : 1968 में केवल 16 साल की उम्र में ही नारायण राणे युवाओं को शिवसेना से जोड़ने में जुट गए। शिवसेना में शामिल होने के बाद नारायण राणे की लोकप्रियता बढ़ती गई। युवाओं के बीच नारायण राणे की लोकप्रियता को देखकर शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे भी प्रभावित हुए। उनकी संगठन की क्षमता ने उन्हें जल्द ही चेंबूर में शिवसेना का शाखा प्रमुख बना दिया।
राणे के युवा जोश और नेतृत्व क्षमता ने उनके सियासी कद को बड़ी तेजी से ऊंचा उठाने का काम किया। 1985 से 1990 तक राणे शिवसेना के कॉर्पोरेटर रहे। 1990 में वे पहली बार शिवसेना से विधायक बने। इसके साथ ही वे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी बने। राणे के राजनीतिक करियर ने रफ्तार तब पकड़ी, जब छगन भुजबल ने शिवसेना छोड़ दी।
1996 में शिवसेना-बीजेपी सरकार में नारायण राणे राजस्व मंत्री बने। इसके बाद मनोहर जोशी के मुख्यमंत्री पद से हटने पर राणे को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का मौका मिला। 1 फरवरी 1999 को शिवसेना-बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार में नारायण राणे मुख्यमंत्री बने। हालांकि मुख्यमंत्री की कुर्सी का सुख थोड़े समय तक ही रहा।
इसके बाद शिवसेना से राणे का मोहभंग होने की शुरुआत हुई। उद्धव ठाकरे के शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष का ऐलान होते ही नारायण राणे के सुरों में बगावत हावी होने लगी। राणे ने उद्धव की प्रशासनिक योग्यता और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए। इसके बाद उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। शिवसेना छोड़ने के बाद नारायण राणे 3 जुलाई 2005 में कांग्रेस में शामिल हो गए। शिवसेना से बगावत करने के बावजूद राणे विधानसभा का चुनाव जीतकर विधायक बने। नारायण राणे ने अपनी महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया और वे भाजपा में शामिल हो गए।