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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024 (09:49 IST)

Vinayak Chaturthi 2024: अप्रैल माह की विनायक चतुर्थी आज, जानें मुहूर्त, महत्व, विधि, मंत्र और कथा

Vinayak Chaturthi 2024: अप्रैल माह की विनायक चतुर्थी आज, जानें मुहूर्त, महत्व, विधि, मंत्र और कथा - Vinayak Chaturthi 2024
HIGHLIGHTS
 
* आज चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि है।
* भगवान श्री गणेश को समर्पित पर्व है विनायक चतुर्थी। 
* विनायक चतुर्थी पूजा विधि। 
Vinayaka Chaturthi : वर्ष 2024 में आज यानी 12 अप्रैल, दिन शुक्रवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर विनायक चतुर्थी व्रत रखा जा रहा है। आइए जानते हैं इस व्रत के बारे में खास जानकारी-
 
महत्व: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी पड़ती है और हर माह आने वाली शुक्ल और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर चतुर्थी व्रत किया जाता है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। मान्यता के अनुसार चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है, क्योंकि यह तिथि भगवान गणेश की मानी गई है, अत: इस दिन उनका विधि-विधान से पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। 
 
पूजन विधि : Vinayak Chaturthi Puja Vidhi 
 
• विनायक चतुर्थी के दिन अपनी शक्तिनुसार उपवास करें।
• आज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें।
• पूजन के समय अपने सामर्थ्यनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित शिव-गणेश प्रतिमा स्थापित करें।
• संकल्प के बाद विघ्नहर्ता श्री गणेश का पूरे मनोभाव से पूजन करें।
• फिर अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र चावल आदि चढ़ाएं।
• मंत्र- 'ॐ गं गणपतये नमः' बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं।
• अब श्री गणेश को मोदक का भोग लगाएं।
• इस दिन मध्याह्न के समय में श्री गणेश का पूजन करें।
• गणपति पूजा में 21 मोदक अर्पण करें।
• प्रार्थना के समय यह श्लोक पढ़ें- 'विघ्नानि नाशमायान्तु सर्वाणि सुरनायक। कार्यं मे सिद्धिमायातु पूजिते त्वयि धातरि।'
• पूजन के पश्चात आरती करें।
• चतुर्थी की कथा पढ़ें।
• आज श्री गणपति अथर्वशीर्ष, गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण, संकटनाशक गणेश स्त्रोत, गणेश स्तुति आदि का पाठ करना लाभकारी होता है।
• इस व्रत के दौरान चंद्रमा ना देखें क्योंकि इस व्रत में चंद्रमा दर्शन वर्जित माना गया है।
 
विनायक चतुर्थी शुक्रवार, 12 अप्रैल : पूजन के शुभ मुहूर्त : Vinayak Chaturthi 2024 Shubh Muhurat
 
चैत्र शुक्ल चतुर्थी का प्रारंभ- 11 अप्रैल को 03:03 पी एम से, 
विनायक चतुर्थी का समापन- 12 अप्रैल को 01:11 पी एम पर।
उदया तिथि के अनुसार, विनायक चतुर्थी 12 अप्रैल 2024, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
विनायक चतुर्थी पूजन का शुभ समय 
11:05 ए एम से 01:11 पी एम
कुल अवधि- 02 घंटे 06 मिनट्स
 
मंत्र- Vinayak Chaturthi Mantras 
 
• 'श्री गणेशाय नम:' 
• 'ॐ गं गणपतये नम:' 
• 'ॐ वक्रतुंडा हुं।' 
• 'ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।'
• 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।'
• एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।। 
• वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।
 
विनायक चतुर्थी प्रामाणिक व्रतकथा- Vinayaka Chaturthi Katha
 
श्री गणेश चतुर्थी व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव तथा माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। वहां माता पार्वती ने भगवान शिव से समय व्यतीत करने के लिये चौपड़ खेलने को कहा। शिव चौपड़ खेलने के लिए तैयार हो गए, परंतु इस खेल में हार-जीत का फैसला कौन करेगा, यह प्रश्न उनके समक्ष उठा तो भगवान शिव ने कुछ तिनके एकत्रित कर उसका एक पुतला बनाकर उसकी प्राण-प्रतिष्ठा कर दी और पुतले से कहा- 'बेटा, हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, परंतु हमारी हार-जीत का फैसला करने वाला कोई नहीं है इसीलिए तुम बताना कि हम दोनों में से कौन हारा और कौन जीता?' 
 
उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का चौपड़ खेल शुरू हो गया। यह खेल 3 बार खेला गया और संयोग से तीनों बार माता पार्वती ही जीत गईं। खेल समाप्त होने के बाद बालक से हार-जीत का फैसला करने के लिए कहा गया, तो उस बालक ने महादेव को विजयी बताया। 
 
यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और क्रोध में उन्होंने बालक को लंगड़ा होने, कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। बालक ने माता पार्वती से माफी मांगी और कहा कि यह मुझसे अज्ञानतावश ऐसा हुआ है, मैंने किसी द्वेष भाव में ऐसा नहीं किया। बालक द्वारा क्षमा मांगने पर माता ने कहा- 'यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्याएं आएंगी, उनके कहे अनुसार तुम गणेश व्रत करो, ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगे।' यह कहकर माता पार्वती शिव के साथ कैलाश पर्वत पर चली गईं। 
 
एक वर्ष के बाद उस स्थान पर नागकन्याएं आईं, तब नागकन्याओं से श्री गणेश के व्रत की विधि मालूम करने पर उस बालक ने 21 दिन लगातार गणेशजी का व्रत किया। उसकी श्रद्धा से गणेशजी प्रसन्न हुए। उन्होंने बालक को मनोवांछित फल मांगने के लिए कहा। 
 
उस पर उस बालक ने कहा- 'हे विनायक! मुझमें इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर पहुंच सकूं और वे यह देख प्रसन्न हों।'
 
तब बालक को वरदान देकर श्री गणेश अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद वह बालक कैलाश पर्वत पर पहुंच गया और कैलाश पर्वत पर पहुंचने की अपनी कथा उसने भगवान शिव को सुनाई। चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती शिवजी से विमुख हो गई थीं अत: देवी के रुष्ट होने पर भगवान शिव ने भी बालक के बताए अनुसार 21 दिनों तक श्री गणेश का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन से भगवान शिव के लिए जो नाराजगी थी, वह समाप्त हो गई। 
 
तब यह व्रत विधि भगवान शंकर ने माता पार्वती को बताई। यह सुनकर माता पार्वती के मन में भी अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा जागृत हुई। तब माता पार्वती ने भी 21 दिन तक श्री गणेश का व्रत किया तथा दूर्वा, फूल और लड्डूओं से गणेशजी का पूजन-अर्चन किया। व्रत के 21वें दिन कार्तिकेय स्वयं माता पार्वती जी से आ मिले। उस दिन से श्री गणेश चतुर्थी का यह व्रत समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला व्रत माना जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य के सारे कष्ट दूर होकर मनुष्य को जीवन की समस्त सुख-सुविधाएं मिलती हैं। 
 
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