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Sheetla Saptami 2019 : 24 जुलाई को होगी शीतला माता की आराधना, पढ़ें व्रत का महत्व

Sheetla Saptami 2019 : 24 जुलाई को होगी शीतला माता की आराधना, पढ़ें व्रत का महत्व - sheetla mata pujan kaise karen
शीतला माता की पूजा श्रावण कृष्ण सप्तमी को की जाती है। गृहस्थों के लिए मां की आराधना दैहिक तापों ज्वर, राजयक्ष्मा, संक्रमण तथा अन्य विषाणुओं के दुष्प्रभावों से मुक्ति दिलाती है। विशेष रूप से बुखार, चेचक, कुष्ठ रोग, दाह ज्वर, पीत ज्वर, दुर्गन्धयुक्त फोड़े तथा अन्य चर्मरोगों से आहत होने पर मां की आराधना रोगमुक्त कर देती है। यही नहीं व्रती के कुल में भी यदि कोई इन मां शीतलाजनित रोगों से पीड़ित हो तो मां शीतला उन्हें दूर कर आशीष प्रदान करती हैं। 
 
माता शीतला की कृपा से देह अपना धर्माचरण कर पाता है। बिना शीतला माता की कृपा के देहधर्म संभव नहीं है। ऋषि-मुनि-योगी भी इनका स्तवन करते हुए कहते हैं कि  
 
''शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता।
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः।। 
 
अर्थात् - हे! मां शीतला आप ही इस संसार की आदि माता हैं, आप ही पिता हैं और आप ही इस चराचर जगत को धारण करतीं हैं, अतः आप को बारम्बार नमस्कार है। मां  का यह पौराणिक मंत्र ''ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः'' भी प्राणियों को सभी संकटों से मुक्ति दिलाते हुए समाज में मान सम्मान पद एवं गरिमा की वृद्धि कराता है। 
 
जो भी भक्त शीतला माँ की प्रतिदिन साधना-आराधना करते हैं, मां  उनपर अनुग्रह करती हुई, उनके घर-परिवार की सभी विपत्तिओं से रक्षा करती हैं। इनका ध्यान करते हुए शास्त्र कहते हैं कि —
 
'वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्। 
मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।
 
अर्थात् मैं गर्दभ पर विराजमान, दिगम्बरा, हाथ में झाड़ू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की वंदना करता हूं। इस वंदना मंत्र से यह पूर्णत: स्पष्ट हो जाता है कि ये स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी हैं। हाथ में झाड़ू होने का अर्थ है कि हम लोगों को भी सफाई के प्रति जागरूक होना चाहिए। कलश में सभी तैतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास रहता है, अत: इसके स्थापन-पूजन से घर परिवार में समृद्धि आती है।

स्कन्द पुराण में इनकी अर्चना का स्तोत्र 'शीतलाष्टक' के रूप में प्राप्त होता है, इस स्तोत्र की रचना भगवान शंकर ने जनकल्याण के लिए की थी। शीतलाष्टक शीतला देवी की महिमा गान करता है, साथ ही उनकी उपासना के लिए भक्तों को प्रेरित भी करता है। मां शीतला की आराधना मध्य भारत एवं उत्तरपूर्व के राज्यों में बड़ी धूम-धाम से की जाती है।

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