Pradosh Puja 2022: आज 24 अगस्त 2022 बुधवार को भाद्रपद के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत रखा जाएगा। जिस तरह एकादशी का व्रत करना वैष्णवों के लिए महत्व रखता है उसी तरह प्रदोष का व्रत रखना शैवों के लिए महत्व रखता है। दोनों ही व्रतों से चंद्रदोष दूर होता है। आओ जानते हैं इस व्रत की पूजा के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शिव मंत्र।
	 
				  																	
									  
	 
	पूजा के शुभ महुर्त :
	अमृत काल - सुबह 10:57 से दोहपर 12:45 तक।
	विजयी मुहूर्त : दोपहर 02:47 से 03:38 तक।
				  
	शुभ समय- प्रात: 6:00 से 9:11, शाम 5:00 से 6:30 तक
	राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
	 
	प्रदोष पूजा विधि- Puja vidhi
				  						
						
																							
									  
	 
	- प्रदोष व्रत के दिन व्रतधारी को सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव जी की पूजा करनी चाहिए।
				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  
	 
	- पूजन के समय भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगा जल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
				  																	
									  
	 
	- त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से 3 घड़ी पूर्व शिवजी का पूजन करना चाहिए।
				  																	
									  
	 
	- सायंकाल प्रदोष के समय पुन: स्नान करके इसी तरह से शिव जी की पूजा करें। 
	 
	- भगवान शिव जी को घी और शकर मिले मिष्ठान्न अथवा मिठाई का भोग लगाएं। 
				  																	
									  
	 
	- अब आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। 
	 
	- इसके बाद शिव जी की आरती करें।
	 
				  																	
									  
	- रात्रि जागरण करें।
	 
	- इस तरह व्रत करने वालों की हर इच्छा पूरी हो सकती है।
				   
				  
	शिव मंत्र :
	 
	- ॐ शिवाय नम:।
	 
	- ॐ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ॐ।
	 
	- ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ऊं।
				  																	
									  
	 
	- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
	 
	- ॐ नम: शिवाय।